PM Modi Russia Visit: भारतवर्ष की कुंडली (Kundli) पर इस समय ग्रहों का प्रभाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुतिन की मुलाकात को किस तरह से प्रस्तुत करता है, यह जानने के लिए सबसे पहले भारतवर्ष की कुंडली को जानते हैं. भारत की कुंडली का अध्ययन के बिना इस यात्रा के परिणामों तक नहीं पहुंचा जा सकता है.


भारतवर्ष की कुंडली 15 अगस्त 1947 रात 12:00 बजे स्थान दिल्ली की बनती है जो वृषभ लग्न और कर्क राशि की है.


लग्न में राहु, द्वितीय भाव में मंगल, तृतीय भाव में चंद्र शुक्र सूर्य बुध और शनि, षष्टम भाव में बृहस्पति, सप्तम भाव में केतु है. अब गोचर का प्रभाव लग्न कुण्डली पर लागू करने से क्या असर दिखता है ये जानते हैं.


आज 9 जुलाई 2024 को वृषभ लग्न की कुंडली यदि देखें तो इसमें लग्न को भारत (India) वर्ष माना जाएगा तथा जिस देश के साथ राजनीतिक संबंधों की बात होगी, उसे सप्तम भाव से देखा जाएगा.


इस कुंडली में लग्न में बृहस्पति, द्वितीय भाव में सूर्य, तृतीय भाव में बुध चंद्र शुक्र, पंचम भाव में केतु, दशम भाव में शनि, एकादश भाव में राहु तथा द्वादश भाव में मंगल है.


लग्न में लाभ भाव में बृहस्पति होना अपने आप में एक लाभ का योग बन रहा है. इससे प्रतीत होता है कि अधिकतर मुद्दों पर शांतिपूर्वक विचार से सहमति बनी रहेगी.


लग्नेश और सप्तमेश की स्थिति यदि देखें तो लग्नेश शुक्र (Venus) तृतीय भाव में धन भाव के स्वामी बुध और तृतीय भाव के स्वामी चंद्रमा (Moon) के साथ है. सप्तम भाव का स्वामी मंगल (Mars) द्वादश भाव में अपनी राशि में है जिसकी चौथी दृष्टि लग्न के स्वामी शुक्र पर तथा आठवीं दृष्टि सप्तम भाव में अपने ही राशि पर पड़ रही है.


दोनों ग्रहों का एक दूसरे से केंद्र में होना आपसी संबंधों के लिए एक अच्छा संकेत माना जाएगा. सप्तम भाव से मंगल की स्थिति द्वादश में होना कभी-कभी दोनों देशों के विचारों में मामूली सा मनमुटाव या कुछ विरोध दर्शाता है, लेकिन मंगल की सप्तम भाव पर और लगने से शुक्र पर दृष्टि होने से यह अच्छा ही परिणाम देगा.


अब मुख्य विषय जिन पर चर्चा होगी-


यूक्रेन संकट (Ukraine Crisis)


यूक्रेन (Ukraine) को लेकर भारत ने अभी तक तटस्थ प्रक्रिया दी है क्योंकि रूस की नीतियों भारत को लाभ मिलता है तथा मैत्रिक और व्यापारिक दोनों ही संबंध भी अच्छे हैं. ग्रह स्थिति दर्शाती है कि भविष्य में भी यह संबंध अच्छे रहेंगे और यूक्रेन के मामले को लेकर भारत कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा.


रुपया और रूबल (Rupees and Rubles)


भारतीय करेंसी (Indian Currency) रुपया तथा रूस की करेंसी रूबल का आपस में लगभग समान है. 1 रूबल वर्तमान समय में 0.95 रुपये के बराबर है. गोचर में यदि हम भारत के धन भाव अर्थात मिथुन राशि (Gemini) के स्वामी की स्थिति और रूस के धन भाव अर्थात धनु राशि के स्वामी की स्थिति का आंकलन करेंगे जो कि बुध तथा बृहस्पति हैं.


बुध और बृहस्पति की स्थिति से भविष्य में दोनों देशों की करेंसी को लेकर मित्रलाभ का अच्छा संकेत दे रहा है. भविष्य में यदि भारत को कभी रूस से कर्ज आदि लेने की आवश्यकता पड़ती है तो रूस इसमें बिल्कुल नहीं हिचकेगा तथा भारत की करेंसी की वैल्यू को ध्यान में रखते हुए मापतोलकर इतना ब्याज रखेगी कि भारत को उससे कोई हानि अथवा अतिरिक्त बोझ महसूस नहीं होगा.


इसी प्रकार यदि कभी भविष्य में रूस को भारत से ऋण लेने की आवश्यकता पड़ती है तो भारत की शर्तें भी कठोर नहीं होगी, दोनों आपस में लचीलेपन का व्यवहार रख के मित्रता पूर्वक इस स्थिति को हल करेंगे.


व्यापार और निवेश (India-Russia Trade and Investment)


व्यापार और निवेश के मुद्दों को लेकर सप्तम भाव दशम भाव एकादश भाव तथा द्वितीय भाव के ग्रह की गोचरीय स्थिति देखते हुए लगता है कि जल्द ही दोनों देशों के व्यापार में किसी प्रकार की वृद्धि हो सकती है.


लेकिन जैसा कि दशम भाव में स्वराशि का शनि है लेकिन वक्री अवस्था में है तथा लग्नेश शुक्र से अष्टम में बैठा है और सप्तम भाव का स्वामी द्वादश में बैठा है जिस पर शनि की तीसरी दृष्टि है.


इन परिस्थितियों को देखकर लगता है कि जब कोई भी नया व्यापार या निवेश इस बैठक के बाद भारत और बीच में शुरू होगा उसके शुरुआती चरण में कुछ दिक्कतों का सामना हो सकता है और आपसी सामंजस्य बैठाने में कुछ समय लग सकता है.


नवंबर 2024 से पहले जितने भी व्यापार और निवेश भारत और रूस के बीच होंगे, उनमें कुछ हद तक अड़चन उत्पन्न हो सकती है. लेकिन नवंबर के बाद जैसे ही शनि मार्गी होगा अड़चनें स्वत: ही समाप्त होकर व्यापार और निवेश लाभ की ओर अग्रसर हो जाएगा.


रूस (Russia) से जिन चीजों का आयात और निर्यात भारत में किया जाता है वह सब चीज भारत को लाभ देंगी तथा राजनीतिक संबंधों के साथ-साथ व्यापारिक संबंध भी अच्छे रहेंगे.


व्यापारिक सन्तुलन और लाभ का क्या रहेगा स्तर? (Trade Balance and Profit Between India and Russia?)


भारत और रूस (Russia) के बीच में व्यापारिक संबंध बहुत ही अच्छे रहे हैं लेकिन आयात तथा निर्यात लेकिन एक बड़ा अंतर है. भारत का रूस को निर्यात लगभग 4 अरब डॉलर है तथा आयात लगभग 60 अरब डॉलर है.


अपने आप में ही यह एक बहुत बड़ा अंतर है. इस अंतर को क्लियर कर पाना बहुत मुश्किल प्रतीत होता है क्योंकि भारतवर्ष की कुंडली में दशमेश शनि का गोचर में दशम भाव में ही वक्री हो जाना.


व्यापार में संतुलन की स्थिति दर्शाता है. स्वराशि का शनि होने के कारण बहुत ही धीमी गति से यह अंतराल कवर हो सकेगा. लेकिन वर्तमान में स्थितियां कुछ अनुकूल प्रतीत नहीं होती हैं.


जब तक शनि वक्री (Shani Vakri 2024) रहेगा तब तक रूस आसानी से इस अंतराल को समाप्त करने के लिए नहीं मानेगा. लेकिन यदि वर्तमान गोचर की स्थिति देखे तो सप्तमेश मंगल अर्थात रूस को प्रस्तुत करने वाले ग्रह पर दशमेश और भाग्येश शनि की तीसरी दृष्टि है जो कि रूस पर कुछ कानून और नीति के सहारे से दबाव बनाकर संतुलन को कायम करने की कोशिश बताता है.


रूस और भारत के व्यापारिक संतुलन में लाभ आसानी से तो नहीं होने वाला, लेकिन एकादश भाव का राहु कभी-कभी रूस से किसी नीति पर आकस्मिक लाभ का योग बन रहा है.


ज्योतिष सूत्रों के अनुसार बृहस्पति को लग्न में दिग्बली कहा जाता है तथा बृहस्पति लाभ भाव का स्वामी होकर लग्न में है. इस दृष्टि से इस मुलाकात में भारत के पक्ष में रहने की सम्भावना ठीक ठीक कही जा सकती है. भविष्य में भी संबंधों को बेहतरीन बनाए रखने के संकेत हैं.


कमजोर बिन्दु


वर्तमान समय की गोचर कुंडली (Kundli) में कमजोर बिंदु यह है कि लग्न का स्वामी सप्तम भाव के स्वामी की दृष्टि के प्रभाव में है अर्थात सप्तम भाव अर्थात रूस (Russia) का भारत (India) पर अभी प्रभाव बना रहेगा और इस मुलाकात में 60% बातें रूस के पक्ष की और 40% बातें भारत के पक्ष की रहेंगी.


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