भागवत पुराण में राजा पौंड्रक का जिक्र आता है. राजा पौंड्रक को पुंड्र देश का राजा माना जाता है. पौंड्रक खुद को असली कृष्ण बताता था. वह कहता है कि वह विष्णु का असली अवतार है. भगवान कृष्ण लंबे समय तक पौंड्रक की गलतियों के लिए उसे क्षमा करते रहे थे.
कहते हैं राजा पौंड्रक नकली सुदर्शन चक्र, शंख, तलवार, मोर मुकुट, कौस्तुभ मणि, पीले वस्त्र पहनकर खुद को कृष्ण कहता था. पौंड्रक ने एक दिन भगवान कृष्ण को संदेश भेजकर युद्ध के लिए ललकारा. पौंड्रक ने कहलवाया कि पृथ्वी के लोगों का उद्धार करने के लिए मैंने वासुदेव नाम से अवतार लिया है. भगवान वासुदेव का नाम एवं वेष धारण करने का अधिकार केवल मेरा है. इन चिह्रों पर तेरा कोई भी अधिकार नहीं है. तुम इन चिह्रों एवं नाम को तुरंत ही छोड़ दो, वरना युद्ध के लिए तैयार हो जाओ.’
इस बार कृष्ण ने उसके दुस्साहस को नजरअंदाज नहीं किया और पौंड्रक की युद्ध की चुनौति को स्वीकार कर लिया. युद्ध के दौरान पौंड्रक ने ठीक वैसा ही रूप बना रखा था जैसा भगवान श्रीकृष्ण का था. युद्ध के समय पौंड्रक ने शंख, चक्र, गदा, धनुष, वनमाला, रेशमी पीतांबर, उत्तरीय वस्त्र, मूल्यवान आभूषण आदि धारण किया था.
इस ‘नकली कृष्ण’ को देखकर भगवान कृष्ण को अत्यंत हंसी आई। इसके बाद युद्ध हुआ और पौंड्रक का वध कर श्रीकृष्ण पुन: द्वारिका चले गए.
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