व्यक्ति किसी पद अथवा व्यवस्था से जुड़ा हो, उसके निर्णय ही उसे बड़ा और महत्वपूर्ण बनाते हैं. तेजी से बदलते जमाने में व्यक्ति की योग्यता का सबसे बड़ा पैमाना निर्णय क्षमता के रूप में उभरकर आया है. आज के दौर में जो भी तेजी से प्रभावशाली निर्णय लेता है, वही क्रांतिकारी परिस्थितियों के साथ न्याय कर सकता है.
पूर्व में बदलाव का क्रम सहज था. व्यवस्थाओं में शीघ्रता से परिवर्तन आज जितने नहीं देखने में आते थे. ऐसे में लोग पर्याप्त समय लेकर निर्णय लिया करते थे. उदाहरण स्वरूप, देशी राजाओं को इसका खामियाजा तब उठाना पड़ा, जब बाहरी आक्रमणकारियों ने उन पर हमले किए. ऐसे में वे तेजी से निर्णय न ले पाने की वजह से परास्त हुए. जिन्होंने तेजी से निर्णय लिए और स्वयं को बदला वे सत्ता और राज्य का संरक्षण करने में सफल रहे.
आज संपूर्ण व्यवस्था ही तेजी से अग्रसर है. ऐसे में निर्णयों और प्रतिक्रिया में तेज होना जरूरत बन चुका है. व्यक्ति किसी पेशे में हो उसे बौद्धिक सक्रियता से आगे बढ़ना अनिवार्य हो गया है. देश और उसकी व्यवस्थाएं इतनी जीवंत हैं कि उन पर निर्णय लेने के लिए जिम्मेदारों का बगैर एक पल गंवाए फैसले लेना अनिवार्य है. इसके लिए व्यक्ति को हर समय अपडेट और एलर्ट रहना है. समझ, ज्ञान और अनुभव का सबसे सुंदर स्वरूप व्यक्ति के निर्णयों में ही झलकता है. जो इसमें पारंगत है वही सबसे सफल व्यक्ति है.
निर्णय क्षमता के लिए लर्निंग और प्रैक्टिस जरूरी है. प्रभावशाली है. टाइपिंग और साइकिलिंग के समान ही देशकाल और परिस्थिति के अनुसार व्यक्ति को तेजी से निर्णय कर सकने की क्षमता विकसित करने पर जोर देना चाहिए.