प्रदोष व्रत में प्रदोष काल का जानें महत्व, इस काल में शिव की पूजा करने से मिलता है फल
Pradosh Vrat May 2020: प्रदोष व्रत एक ऐसा व्रत है जिसकी महिमा अपार है. प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपना आर्शीवाद बनाए रखते हैं. एकादशी के व्रतों की तरह प्रदोष व्रत को भी विशेष फलदायी माना गया है.
Pradosh Vrat 2020: भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने में प्रदोष व्रत को बहुत ही उपयोगी और सहायक माना गया है. प्रदोष व्रत प्रत्येक मास की त्रयोदशी तिथि को होता है. पंचांग के अनुसार इस समय बैशाख मास चल रहा है और शुक्ल पक्ष है. त्रयोदशी की तिथि 5 मई 2020 को पड़ रही है. दिन के अनुसार इन प्रदोष व्रत का महत्च बताया गया है. जैसे सोमवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत, सोम प्रदोष कहलाता है. इसी तरह से मंगलवार के दिन होने वाला प्रदोष, व्रत भौम प्रदोष के नाम से जाना जाता है. सोमवार और मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को अत्यंत शुभ माना गया है. इस बार 5 मई को मंगलवार है.
पूजा विधि प्रदोष व्रत को रखने वाले भक्तगण सुबह स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें और भगवान शिव का अभिषेक करें. भगवान शिव को उनकी प्रिय वस्तुओं का भोग लगाएं. व्रत रखने वालों को इस दिन फलाहार ग्रहण करना चाहिए और भगवान शिव का स्मरण करना चाहिए.
प्रदोष काल किसे कहते हैं इस व्रत में प्रदोषकाल का बहुत महत्व बताया गया है. इस काल में ही भगवान शिव की पूजा का विधान है. प्रदोषकाल सूर्यास्त से 2 घड़ी (48 मिनट) तक रहता है. कुछ विद्वान इसे सूर्यास्त से 2 घड़ी पूर्व व सूर्यास्त से 2 घड़ी पश्चात् तक भी मानते हैं. लेकिन अधिकतर प्रामाणिक शास्त्र में प्रदोषकाल सूर्यास्त से 2 घड़ी (48 मिनट) तक ही माना गया है.