(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Pradosh Vrat 2020: शिवजी को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है प्रदोष व्रत, जानें व्रत की कथा और मुहूर्त
Pradosh Vrat August 2020: पंचांग के अनुसार 30 अगस्त को प्रदोष व्रत है. यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है. प्रदोष व्रत को जीवन में विशेष फल प्रदान करने वाला व्रत माना गया है. मान्यता है कि प्रदोष व्रत को रखने सभी प्रकार के दोषों से मुक्ति मिलती है. कलयुग में प्रदोष व्रत को मंगलकारी माना गया है.
Pradosh Vrat 2020 Dates: प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने और आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए रखा जाता है. चातुर्मास में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व माना गया है. प्रदोष व्रत समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला व्रत माना गया है. इस व्रत को रखने से अच्छी सेहत और लम्बी आयु प्राप्त होती है. प्रदोष व्रत महीने में दो बार आता है. यह व्रत प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को त्रयोदशी को आता है. दक्षिण भारत में इसे प्रदोषम के नाम से जाना जाता है.
प्रदोष व्रत में प्रदोष काल का महत्व प्रदोष व्रत में प्रदोष काल का विशेष महत्व है. सूर्यास्त के बाद और रात्रि के आने से पहले का समय प्रदोष काल कहा जाता है. प्रदोष काल को लेकर मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव त्रयोदशी तिथि में शाम के समय कैलाश पर्वत पर स्थित अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं.
प्रदोष व्रत की कथा एक पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में एक वृद्ध महिला अपने एक पुत्र के साथ रहती थी. महिला हनुमान जी की नित्य पूजा और उपासना किया करती थी. प्रत्येक मंगलवार को हनुमान जी की विशेष आराधना करती. एक बार हनुमान जी ने महिला की परीक्षा लेने की सोची. हनुमान जी ने एक सन्यासी का रूप रखकर महिला के घर पहुंच गए और पुकारने लगे. सन्यासी की आवाज सुनकर महिला बाहर आ गई और आज्ञा करने के लिए कहा.
सन्यासी बनकर आए हनुमान जी ने महिला से कहा वे बहुत भूखें हैं. भोजन करेंगे, भूमि को लीप दें. इस पर महिला दुविधा में पड़ गई और हाथ जोड़कर बोली महाराज इस कार्य के अतिरिक्त कोई अन्य कार्य बताएं. वह जरुर पूरा करेगी. सन्यासी ने बुजूर्ग महिला से तीन बार वचन लिए और कहा कि अम्मा मैं तेरे बेटे की पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाऊंगा. महिला घबरा गई लेकिन क्या करती सन्यासी को वचन दे चुकी थी. उसने अपने पुत्र को बुलाया और सन्यासी के सम्मुख कर दिया. सन्यासी ने बुजुर्ग महिला के हाथों से ही उसके पुत्र को पेट के बल लिटवाया. फिर पीठ पर अग्नि जलवाई.
महिला अग्नि जलाकर दुखी होकर घर में चली गई और रोने लगी. खाना पक जाने के बाद सन्यासी ने महिला को आवाज दी कहा खाना पक गया है अपने पुत्र को भी बुला ले वह भी आकर भोजन कर ले. महिला ने महाराज और कष्ट न दें. जब सन्यासी नहीं माना तो कहने पर पुत्र के लिए आवाज लगा दी. पुत्र को जीवित देख महिला के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा. तब हनुमान जी अवने असली रूप में प्रकट हुए और आर्शीवाद दिया.
प्रदोष व्रत मुहूर्त 30 अगस्त, रविवार: 06:45 PM से 09:00 PM त्रयोदशी प्रारम्भ: 08:21 AM त्रयोदशी समाप्त: 08:48 AM, 31 अगस्त 2020
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