Pradosh Vrat 2020: प्रदोष व्रत त्रयोदशी की तिथि को मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार 14 अक्टूबर 2020 को आश्विन मास की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि है. विशेष बात ये है ये प्रदोष व्रत अधिक मास का अंतिम प्रदोष व्रत है.
चातुर्मास चल रहे हैं. चातुर्मास में भगवान विष्णु पाताल लोक में विश्राम करने चले जाते हैं और पृथ्वी की बागडोर भगवान शिव को सौंप जाते हैं. इसलिए चातुर्मास में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है. प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है. ऐसा माना जाता है कि चातुर्मास में भगवान शिव माता पार्वती के साथ पृथ्वी का भ्रमण करते हैं और अपने भक्तों को आर्शीवाद प्रदान करते हैं.
प्रदोष व्रत का महत्व
14 अक्टूबर को पड़ने वाले प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. क्योंकि यह व्रत अधिम मास यानि पुरुषोत्तम मास का अंतिम व्रत है. इस दिन बुधवार का दिन है. बुधवार का दिन भगवान गणेश जी को समर्पित है. इसलिए आज के दिन शिव परिवार की पूजा करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है. इस व्रत के दौरान सुबह और शाम दोनों समय पूजा की जाती है. इस दिन भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से आर्थिक संकट दूर होते हैं. वैवाहिक जीवन अच्छा होता है. घर से कलह का नाश होता है. घर में हर प्रकार की सुख समृद्धि रहती है.
प्रदोष व्रत की विधि
सुबह स्नान करने के बाद भगवान शिव का अभिषेक करें. पंचामृत का पूजा में प्रयोग करें. धूप दिखाएं और भगवान शिव को भोग लगाएं. इसके बाद व्रत का संकल्प लें. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव त्रयोदशी तिथि में शाम के समय कैलाश पर्वत पर स्थित अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं. इस दिन भगवान शिव प्रसन्न होते हैं.
प्रदोष काल पूजा का समय
इस दिन शाम की पूजा का मुहूर्त शाम 5 बजकर 52 मिनट से 8 बजकर 22 मिनट तक रहेगा.
प्रदोष व्रत मुहूर्त
प्रारम्भ(त्रयोदशी): 11:51 ए एम, अक्टूबर 14
समाप्त(त्रयोदशी): 08:33 ए एम, अक्टूबर 15
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