Ravi Pradosh Vrat 2021: आज अश्विन मास (Ashwin Month) के शुक्ल पक्ष (Shukla Paksha) की त्रयोदशी के दिन रवि प्रदोष व्रत (Ravi Pradosh Vrat) रखा जाता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा (Bhagwan Shiv Puja) की जाती है. कहते हैं कि प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) रखने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. प्रदोष व्रत भगवान को अधिक प्रिय है. इसलिए इसका महत्व अधिक है. इस बार रविवार को पड़ने के कारण इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाएगा. कहते हैं प्रदोष व्रत रखने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और इससे शरीर को एनर्जी मिलती है. ये व्यक्ति के शरीर को रोगों से दूर करने में मदद करता है. इतना ही नहीं, ये भी कहा जाता है कि रवि प्रदोष व्रत रखने से जीवन में सुख, शांति और सम्मान में भी वृद्धि होती है. व्यक्ति मानसिक तौर पर मजबूत बनता है. कहा जाता है कि इस व्रत को पूरे विधि विधान से किया जाए तो विशेष फल की प्राप्ति होती है.
सूर्य की अशुभता दूर होती है
कहते हैं कि रवि प्रदोष व्रत रखने से सूर्य की अशुभता दूर होती है. कुंडली में सूर्य कमजोर होने से व्यक्ति को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है उन्हें रोग घेरे रहते हैं, मेहनत के बावजूद उन्हें सफलता हाथ नहीं लगती. इतना ही नहीं, सम्मान और उच्च पद प्राप्त करने में भी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. लेकिन अगर आप रवि प्रदोष व्रत रखते हैं तो इससे सूर्य बलवान होता है और शरीर को रोग मुक्त बनाने में मदद करता है.
धन की कमी दूर होती है
कहते हैं कि जो लोग आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं या कर्ज के घेरे में हैं उन्हें भी रवि प्रदोष व्रत रखने से फायदा होता है. यह व्रत सुख-समृद्धि में तो वृद्धि करता ही है. साथ ही, आने वाले अपयश को भी दूर करता है.
पूजा विधि (Pradosh Vrat Puja Vidhi)
रविवार के दिन सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें. फिर मंदिर में जाकर या घर के ही मंदिर में भगवान शिव का अभिषेक करें. इसके बाद सूर्य देव की स्तुति करें, पुष्प अर्पित करें, शिव आरती करें. इसके बाद सूर्य मंत्रों का जाप अवश्य करें. फिर जल में गंगाजल और लाल चंदन मिलाकर सूर्य भगवान को अर्पित करें. जल चढ़ाते समय जल की धारा से सूर्य देव को देखना चाहिए. इस दौरान सूर्य मंत्र का उच्चारण करना चाहिए.
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