हर महीने में दो बार त्रयोदशी तिथि आती है. एक शुक्ल पक्ष में तो दूसरी कृष्ण पक्ष में और इसी त्रयोदशी को रखा जाता है प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat), जो भगवान शिव के निमित्त होता है. इस बार 24 मई सोमवार को शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर ये प्रदोष व्रत रखा जाएगा. जो भी ये व्रत रखते हैं उन पर भगवान शिव की विशेष कृपा सदैव बनी रहती है. आइए बताते हैं आपको इस व्रत की संपूर्ण पूजा विधि.
प्रदोष व्रत पूजा विधि (Pradosh Vrat Puja Vidhi)
इस व्रत के जरिए भगवान शिव को प्रसन्न किया जा सकता है और उनकी विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि उनकी पूजा विधि विधान से की जाए और उससे भी जरूरी है श्रद्धा भाव और पवित्रता.
- प्रदोष व्रत के दिन सुबह सवेरे नहा धोकर घर के मंदिर में आसन लगाकर बैठें.
- सबसे पहले सभी देवी देवताओं का आह्वान करें और फिर भगवान शिव का अभिषेक करें.
- प्रदोष व्रत की पूजा में पंचामृत जरूर शामिल करें.
- दीपक जलाएं, भगवान से प्रार्थना करें और व्रत कथा सुनकर व्रत का संकल्प लें.
- इस व्रत में प्रदोष काल में शिवजी की पूजा सर्वाधिक महत्व रखती है.
- प्रदोष काल शाम के उस पल को कहते हैं जब आसमान में तारे तो हों लेकिन रात पूरी तरह न आई हो.
इन मंत्रों के जाप से मिलेगा लाभ
इस बार प्रदोष व्रत और भी खास है क्योंकि ये व्रत इस बार सोमवार के दिन पड़ने जा रहा है. जो कि शिवजी की पूजा के लिए विशेष दिन माना जाता है. इसलिए इस बार प्रदोष व्रत का महत्व कई गुना बढ़ जाएगा. ऐसे में कुछ मंत्रों का जाप आपके लिए पुण्यदायक साबित हो सकता है. इस दिन विशेष रूप से दो मंत्रों का जाप किया जा सकता है-
- ॐ नमः शिवाय.
- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्
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