Pradosh Vrat July 2021 Date: हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, कलयुग में भगवान शिव को खुश करने का सर्वोत्तम उपाय प्रदोष व्रत है. प्रदोष काल में भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करने पर उनकी कृपा प्राप्त होती है. हिंदी पंचांग के अनुसार हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. जुलाई मास {आषाढ़ माह} का  पहला प्रदोष व्रत 7 जुलाई को रखा जाएगा.


धार्मिक मान्यता है कि त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर्वत के रजत भवन में आनंद ताण्डव करते हैं तथा सभी देवता उनकी स्तुति करते हैं. इसलिए जो शिव भक्त प्रदोष व्रत रखकर प्रदोष काल में विधि पूर्वक भगवान शिव की आराधना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.


प्रदोष व्रत की तिथि एवं मुहूर्त


आषाढ़ मास का पहला प्रदोष व्रत 7 जुलाई दिन बुधवार को पड़ने के कारण इसे बुध प्रदोष भी कहा जाता है. आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 7 जुलाई को रात्रि  01 बजकर 02 मिनट से 8 जुलाई को प्रातः 03 बजकर 20 मिनट तक रहेगी.


प्रदोष काल


प्रदोष व्रत 7 जुलाई को रखा जाएगा. भगवान शिव की पूजा का विशेष मुहूर्त प्रदोष काल सायं 07:12 बजे से 9:20 बजे तक रहेगा.


प्रदोष व्रत की पूजा विधि


शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष काल में भक्त स्नान आदि करके दिन भर निर्जला या फलाहार व्रत रख कर भगवान शिव का मां पार्वती के साथ पूजन करना चाहिए. भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का जल से अभिषेक करें उसके बाद  धूप, दीप अक्षत, रोली, मिठाई तथा फूल आदि अर्पित करें. भगवान शिव को बेलपत्र तथा माता पार्वती को लाल चुनरी और सुहाग का समान भी चढ़ाएं.


प्रदोष व्रत का महत्व


बुध प्रदोष कल में भगवान शिव का व्रत रखने और पूजन करने से बुध दोष दूर होता है तथा सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. इस दिन व्रत रखने से भगवान शिव शंकर आपके सभी कष्टों को दूर करते है. घर में सुख- समृद्धि की वृद्धि करते हैं.