Ashwin 2nd Pradosh Vrat 2021: अश्विन मास का पहला प्रदोष व्रत 4 अक्टूबर, सोमवार के दिन रखा गया है. हर माह त्रयोदशी तिथि के दिन ही प्रदोष व्रत रखा जाता है. अश्विन मास के शुक्ल पक्ष का पहला प्रदोष व्रत 17 अक्टूबर के दिन रखा जाएगा. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. भक्त इस दिन भगवान शिव के लिए व्रत रखते हैं और पूजा अर्चना आदि करते हैं. शास्त्रों में बताया गया है कि इस व्रत को बेहतर स्वास्थ्य और लंबी आयु प्राप्ति के लिए रखा जाता है. कहते हैं शिव जी को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत उत्तम हैं.
मान्यता है कि प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद और रात्रि से पहले) में की जाती है. कहते हैं कि अगर सच्चे मन और पूरी निष्ठा के साथ ये व्रत किया जाए, तो भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. आइए जानें प्रदोष व्रत की तिथि और महत्व के बारे में कुछ जरूरी बातें.
प्रदोष व्रत तिथि
अश्विन मास में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है. उनके लिए उपवास किया जाता है. दरअसल, त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत किया जाता है. इस बार रविवार के दिन होने के कारण इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाएगा.
प्रदोष व्रत - 17 अक्टूबर, 2021, रविवार
प्रदोष व्रत तिथि आरंभ- 5:42 मिनट से शुरू होकर
प्रदोष व्रत तिथि समापन- 18 अक्टूबर, 2021, सोमवार , 6:07 मिनट पर होगा
पूजा करने का सही समय- 17 अक्टूबर, 2021, 5:49 शाम से लेकर 8:20 बजे तक
रवि प्रदोष व्रत महत्व (Ravi Pradosh Vrat Importance)
कहते हैं कि प्रदोष व्रत के दिन व्रत रखने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. इस बार अश्विन मास का दूसरा प्रदोष व्रत रविवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाएगा. इस दिन व्रत और पूजा-पाठ करने से भक्तों के जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. मान्यता है कि व्रत से प्रसन्न होकर शिव जी भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. इतना ही नहीं, कहते हैं कि इस दिन शिवलिंग आदि की पूजा करने से चंद्र ग्रह संबंधित दोष भी समाप्त होते हैं.
Dussehra 2021: कब है दशहरा? विजय दशमी को करें वास्तुशास्त्र के ये खास उपाय, दूर होगी घर की अशुभता