Pradosh Vrat 2021 Dates: पंचांग के अनुसार 9 अप्रैल शुक्रवार को चैत्र मास का प्रथम प्रदोष व्रत है. प्रदोष व्रत त्रयोदशी की तिथि को मनाया जाता है. 9 अप्रैल को चैत्र कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि है. शुक्रवार के दिन प्रदोष व्रत होने के कारण इसे शुक्र प्रदोष व्रत भी कहा जाता है. प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है. इस दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती और संपूर्ण शिव परिवार की भी पूजा की जाती है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती है. इसके साथ ही प्रदोष व्रत दांपत्य जीवन में भी खुशियां लाता है.


प्रदोष व्रत की विधि
प्रदोष व्रत को भी कठिन व्रतों में से एक माना गया है. कुछ स्थानों पर इस व्रत को निर्जला रखने की भी परंपरा है. प्रदोष व्रत में नियमों का विशेष ध्यान रखा जाता है. इसके साथ ही स्वच्छता का भी विशेष महत्व है. प्रदोष व्रत पूरे दिन रखा जाता है और इस व्रत में फलाहार किया जाता है. उपवास के दौरान गलत विचारों से दूर रहा जाता है, भगवान का स्मरण किया जाता है.


प्रदोष व्रत की पूजा थाली
प्रदोष व्रत में पूजा थाली में भगवान शिव की प्रिय चीजों का सजाया जाता है. पूजा की थाली में पुष्प, 5 प्रकार के फल, मिष्ठान, अबीर, गुलाल, चंदन, अक्षत, धतूरा, बेलपत्र, कपूर आदि रखे जाते हैं.


प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार 9 अप्रैल शुक्रवार को चैत्र कृष्ण त्रयोदशी तिथि का आरंभ प्रात: 3 बजकर 15 मिनट से होगा. त्रयोदशी की तिथि का समापन 10 अप्रैल शनिवार प्रात: 4 बजकर 27 मिनट पर हागा.


पूजा का समय: 9 अप्रैल की शाम 5 बजकर 55 मिनट से लेकर 8 बजकर 12 मिनट तक.


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