Bhaum Pradosh Vrat 2021: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) को सबसे ज्यादा शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा (Bhagwan Shiva Puja) करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. हर माह की त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत (Troyodashi Pradosh Vrat) रखा जाता है. कार्तिक मास में त्रयोदशी (Kartik Month Pradosh Vrat) 2 नवंबर, मंगलवार के दिन रखा जाएगा. इस दिन मंगलवार होने के कारण इसे मंगल प्रदोष व्रत (Mangal Pradosh Vrat) कहा जाएगा. मंगल प्रदोष व्रत के साथ-साथ इसे भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) भी कहा जाता है. भौम प्रदोष व्रत में भगवान शिव के साथ-साथ हनुमान की पूजा भी की जाती है. इस दिन विधिवत्त तरीके से प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. इतना ही नहीं, भक्तों के सभी कष्ट दूर करते हैं.
भौम प्रदोष व्रत तिथि (Bhaum Pradosh Vrat Tithi)
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी 2 नंवबर, मगंलवार को है.
भौम प्रदोष व्रत तिथि प्रारम्भ - 02:01 पी एम, नवम्बर 02 से लेकर
भौम प्रदोष व्रत तिथि समाप्त - 11:32 ए एम, नवम्बर 03 तक
भौम प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त (Bhaum Pradosh Vrat Puja Muhurat)
कहते हैं कि प्रदोष व्रत की पूजा के दौरान भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है. प्रदोष व्रत की पूजा सदैव प्रदोष काल में करना ही उत्तम होता है. प्रदोष काल रात होने से पहले और सूर्योदय के बाद का समय होता है. प्रदोष व्रत की पूजा के लिए सदैव यही समय होता है. इस बार पूजा का शुभ मुहूर्त 06:42 पी एम से लेकर 08:49 पी एम तक आप पूजा कर सकते हैं.
भौम प्रदोष व्रत महत्व (Bhaum Pradosh Vrat Significance)
इस बार कार्तिक मास का पहला प्रदोष व्रत मगंलवार के दिन पड़ रहा है. मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है. मान्यता है कि जिस जातक की कुंडली में मंगल दोष होता है उसे भौम प्रदोष व्रत अवश्य रखना चाहिए. भौम प्रदोष व्रत के दिन भगवान हनुमान को घी की नौ बाती वाला दीपक जलाने से हर तरह के कर्ज से मुक्ति मिलती है. मान्यता है कि ये व्रत रखने वालों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इतना ही नहीं, इस दिन व्रत और पूजा-पाठ करने से सारे कष्ट दूर होते हैं. और शिव-हनुमान की विशेष कृपा प्राप्त होती है.