Pradosh Vrat 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत महीने में दो बार रखा जाता है. एक बार कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को, दूसरी बार शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को. मई के महीने में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी 27 मई दिन शुक्रवार को पड़ रही है. इस दिन प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2022) रखा जाएगा. इस व्रत को रखने वाले शिव की कृपा से मनोवांछित फल प्राप्त करते हैं. भगवान भोलेनाथ उन पर दया करते हैं. प्रातः काल स्नान करके भगवान भोलेनाथ माता पार्वती की पूजा अर्चना के साथ व्रत का प्रारंभ किया जाता है. प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2022) करने वाले को अकूत धन संपदा की प्राप्ति होती है.
प्रदोष व्रत कथा (Pradosh Vrat 2022 Katha)
एक बार की बात है किसी गांव के किनारे एक कुटिया में एक गरीब विधवा ब्राह्मणी अपने छोटे से पुत्र के साथ रहती थी. गरीब ब्राह्मणी भगवान भोलेनाथ की परम भक्त थी. वह भगवान भोलेनाथ का और माता पार्वती का पूजन रोज किया करती थी. प्रत्येक माह में पडने वाले दोनों प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2022) किया करती थी. उसके पास जीवन यापन का कोई साधन नहीं था. इसलिए वह भिक्षा मांग कर अपना और अपने बेटे का पेट पालती थी. इसी तरह काफी दिन गुजर जाने के बाद, एक दिन जब वह भिक्षा मांगकर शाम को वापस आ रही थी, तो रास्ते में उसने एक घायल युवक को पडे हुए देखा. ब्राह्मणी को उस युवक पर दया आ गई. उसने युवक को उठाया और अपने साथ अपनी झोपड़ी में लेकर आई.
नवयुवक की सेवा करने के बाद जब नवयुवक को होश आया, तो उसने बताया कि वह विदर्भ राज्य का राजकुमार है. उसके राज्य पर पड़ोसी राज्य ने आक्रमण कर दिया था. जिसमें वह बुरी तरह घायल हो गया और उसके पिता को बंदी बना लिया गया. इसके बाद वह नवयुवक भी गरीब विधवा ब्रह्माणी के साथ ही रहने लगा. विधवा ब्राह्मणी पहले की तरह ही भिक्षा मांग कर अपने पुत्र और उस राजकुमार का पेट भरने लगी.
भगवान भोलेनाथ का हुआ दर्शन
एक दिन एक गंधर्व कन्या अंशुमति ने राजकुमार को देखा. वह राजकुमार के रूप पर मोहित हो गई. उसने अपने पिता से राजकुमार से शादी करने की इच्छा व्यक्त की. राजकुमारी के पिता को सपने में भोलेनाथ ने दर्शन दिया. और उनसे कहा कि वह अपनी पुत्री का विवाह उस राजकुमार से कर दे. इससे उन दोनों का जीवन सफल हो जाएगा. उसके बाद राजा और रानी दोनों जाकर राजकुमार से मिले और उन्होंने अपनी कन्या का विवाह राजकुमार से कर दिया.
अनाथ का बेटा बना प्रधानमंत्री
ब्राह्मणी माह के दोनों प्रदोष व्रत किया करती थी और भगवान भोलेनाथ से अपने परिवार की कुशलता की कामना करती थी. उसी के व्रत का परिणाम यह हुआ कि राजकुमार ने गंधर्व कन्या से विवाह करके जब अपने राज्य विदर्भ पर पुनः आक्रमण किया, तो उसे विजय हासिल हुई और उसने विदर्भ पर पुनः अपना राज्य स्थापित किया. उस राजकुमार ने विधवा ब्राह्मणी के पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बना लिया.
इस तरह दुखों और संकटों से जीवन यापन करते हुए, अचानक भगवान शिव की कृपा से बेटा प्रधानमंत्री बन गया. तो ब्राह्मणी की खुशी का ठिकाना न रहा. दोनों मां-बेटे खुशी-खुशी जीवन यापन करने लगे.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.