आज प्रदोष काल में महादेव की पूजा से बरसेगी भोलेनाथ की कृपा, इस विधि से पूजा करने से जल्द मिलेगा फल
भगवान शिव को प्रदोष व्रत बेहद प्रिय है. हर माह की त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. माह में दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं. इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है.
भगवान शिव को प्रदोष व्रत बेहद प्रिय है. हर माह की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. माह में दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी 29 मार्च यानी आज के दिन है. मंगलवार होने के कारण इसे भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है. आज के दिन मासिक शिवरात्रि भी पड़ रही है, इसलिए आज का ये व्रत विशेष फलदायी है.
मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत में भगवान शिव के साथ हनुमान जी की कृपा भी प्राप्त होती है. इस दिन विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत रखा जाता है. इससे हर तरह के रोग, कर्ज आदि से छुटकारा मिलता है. और जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है. बता दें कि प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में ही की जाती है. आइए जानें प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में.
मंगल प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ: 29 मार्च, मंगलवार दोपहर 2:38 मिनट पर से शुरू
त्रयोदशी तिथि का समाप्त: 30 मार्च बुधवार को दोपहर 01:19 मिनट तक
प्रदोष काल: 29 मार्च शाम 06:37 मिनट से रात 08:57 मिनट तक
भौम प्रदोष व्रत पूजा विधि
प्रदोष व्रत के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर कामों से निपटकर स्नान आदि कर लें और इसके बाद भगवान शिव को याद करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए. व्रत के दिन उपवास रखें और शिव जी की अराधना करें. प्रदोष काल में पूजन से पहले एक बार फिर स्नान करें और सफेद रंग के कपड़े धारण करें.
पूजा स्थान पर बैठे और उत्तर-पूर्व दिशा को साफ करने के बाद गंगाजल का छिड़काव करें. इसके बाद पूजा स्थान पर किसी भी रंग, आटा या फूल से रंगोली बनाएं और उसके ऊपर चौकी रखें. इसमें भगवान शिव और मां पार्वती की मूर्ति स्थापित करते हुए खुद भी आसान पर बैठें. और पूजा आरंभ करें.
पूजा की शुरुआत जल आचमन से करें. इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती को फूल, पुष्प माला, बेलपत्र, धतूरा आदि अर्पित करें. चंदन लगाएं और भोग में मिठाई का भोग लगाएं. पान में 2 बताशा, दो इलायची, दो लौंग रखकर भगवान शिव को अर्पित करें. और फिर जल अर्पित करें. इसके बाद घी का दीपक और धूपबत्ती जलाएं. भगवान शिव का चालीसा पाठ करें और भौम प्रदोष व्रत की कथा का श्रवण करें. इसके बाद शिव जी की आरती करते हुए पानी से आचमन कर दें और फिर सभी को प्रसाद बांट दें.
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