Som Pradosh Vrat 2023: 3 अप्रैल को है हिंदू नववर्ष का पहला प्रदोष व्रत, जानिए सोम प्रदोष व्रत का महत्व और शिव पूजन की विधि
Som Pradosh Vrat 2023: सोमवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है. 3 अप्रैल को सोम प्रदोष व्रत पड़ रहा है जोकि भगवान शिव की पूजा के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है.
Som Pradosh Vrat 2023 Date and Importance: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत महत्व होता है. प्रदोष व्रत की पूजा भगवान शिव को समर्पित होती है. पंचांग के अनुसार माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ते हैं. पहला प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी और दूसरा प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को होता है. इस बार सोमवार 3 अप्रैल 2023 को प्रदोष व्रत है.
यह प्रदोष व्रत इसलिए भी खास है क्योंकि यह हिंदू नव वर्ष का पहला प्रदोष व्रत है. साथ ही इस बार सोमवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ रहा है. सोमवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है. सोमवार का दिन भगवान शिव का प्रिय दिन होता है. ऐसे में हिंदू नववर्ष का पहला और सोमवार के दिन प्रदोष व्रत का होना बहुत ही शुभ व अद्भुत संयोग माना जा रहा है. जानते हैं चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि में प्रदोष व्रत की पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व के बारे में.
सोम प्रदोष व्रत का महत्व (Som Pradosh Vrat 2023 Importance)
प्रदोष व्रत शिव की उपासना का महत्वपूर्ण दिन होता है. लेकिन शास्त्रों में सोमवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत के खास महत्व के बारे में बताया गया है. मान्यता है कि सोमवार को पड़ने वाले सोम प्रदोष व्रत के दिन व्रत रखने और पूजा करने से दो गाय के दान के समान फल की प्राप्ति होती है. वहीं इस दिन श्रद्धाभाव के किए पूजन से भगवान शिव की कृपा बरसती है और वे भक्तों के सारे कष्ट दूर कर देते हैं. माना जाता है कि ऐसे लोग जिनकी कुंडली में चंद्र ग्रह की स्थिति कमजोर होती है या चंद्र दोष होता है उन्हें सोम प्रदोष व्रत जरूर रखना चाहिए.
सोम प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त (Som Pradosh Vrat 2023 Puja Muhurat)
सोमवार 3 अप्रैल सुबह 06:25 पर त्रयोदशी तिथि शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन 4 अप्रैल सुबह 08:06 पर होगा. पूजा के लिए 3 अप्रैल शाम 06:40 से 08:58 का समय शुभ रहेगा.
सोम प्रदोष व्रत पूजन विधि (Som Pradosh Vrat 2023 Puja Vidhi)
प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. इसके लिए सुबह के बाद शाम में एक बार फिर से स्नान करें और शिव पूजा की तैयार करें. भगवान शिव का जलाभिषेक करें और इसके बाद सफेद फूल, बेलपत्र, अक्षत, भांग, भोग आदि चढ़ाकर पूजा करें. धूप-दीप जलाएं और सोम प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें या सुने. अब ओम नम: शिवाय मंत्र का 108 बार जप करें और इसके बाद आरती करें.
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