Pradosh Vrat : प्रदोषकाल में व्रत पूजन की खास विधियां देंगी पूरा लाभ
हर माह में दो बार पड़ने वाला प्रदोष व्रत सेहत और संपन्नता बढ़ाने वाला है. विधि विधान से किया गया व्रत पूजन विशेष लाभकारी है, आइए जानते हैं संपूर्ण पूजन विधि.
Pradosh Vrat : हिन्दू पौराणिक ग्रंथ और शास्त्रों में प्रदोष व्रत की बड़ी महिमा बताई गई है. हर महीने में दो बार आने वाले इस व्रत को विधि पूर्वक करने के अद्भूत लाभ बताए गए हैं. यह व्रत स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. इसमें सूर्यास्त के समय पूजा का महत्व है. इस व्रत को करने से सेहत और आर्थिक उलझनों से मुक्ति मिलती है.
इस बार आषाढ़ शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि 21 जुलाई को बुधवार शाम 4:06 बजे से अगले दिन 22 जुलाई दोपहर 1:32 बजे तक रहेगी, क्योंकि प्रदोष काल 21 जुलाई की शाम 07:18 बजे से रात 09:22बजे तक है. इसलिए प्रदोष व्रत 21 जुलाई को होगा. इस दिन व्रत रखने वाले लोगों को पूरे दिन निराहार रहना होता है. साथ ही दिनभर मन में 'ॐ नम: शिवाय' का जाप करना लाभकारी है.
ऐसा न कर पाएं तो कम से कम 108 बार जरूर जप करें. इसके बाद शाम को सूर्यास्त के बाद स्नान कर शिवजी का षोडषोपचार पूजन करें. प्रदोष व्रत की पूजा शाम 4.30 से शाम 7.00 बजे के बीच करनी उत्तम है. पूजा के बाद पूरे दिन में एक बार ही फलाहार कर सकते हैं, लेकिन अन्न, नमक, मिर्च की मनाही होती है.
पूजा के लिए जरूरी सामग्री : पानी कलश, आरती थाल, धतूरा, भांग, कपूर, बेलपत्र, सफेद फूल-माला, सफेद मिठाई, सफेद चंदन, धूप, दीप, घी, वस्त्र, आम लकड़ी, हवन सामग्री.
पूजन विधि: सुबह नित्यक्रिया से निवृत्त होने के बाद स्नान करें और शिवजी की उपासना करें. व्रत रखने वालों को पूरे दिन निराहार रहते हुए दिनभर शिव मंत्र 'ॐ नम: शिवाय' जपना चाहिए. नैवेद्य में जौ का सत्तू, घी और शकर का भोग लगाएं, तत्पश्चात आठों दिशाओं में 8 दीपक रखकर सभी को आठ बार प्रणाम करें. इसके बाद नंदीश्वर (बछड़े) को जल और दूर्वा खिलाकर स्पर्श करें.
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