Pradosh Vrat September 2020: पंचांग के अनुसार 29 सितंबर को आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी की तिथि भगवान शिव को समर्पित है. इस दिन को प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है. इस दिन मंगलवार है. इस कारण इस व्रत को भौम प्रदोष व्रत भी कहा जाता है. सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है और शनिवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष कहते हैं.
चातुर्मास चल रहे हैं. चातुर्मास के अंतर्गत इस समय आश्विन मास चल रहा है आश्विन मास में भी अधिक मास चल रहा है जिसे पुरुषोत्तम मास कहते हैं. 1 जुलाई 2020 को देवशयनी एकादशी की तिथि से चातुर्मास का आरंभ हो चुका है. मान्यता है कि चातुर्मास में भगवान शिव पृथ्वी का भ्रमण करते हैं और सभी कार्यों को देखते हैं. इस दौरान भगवान विष्णु विश्राम करने के लिए पाताल लोक में चले जाते हैं और पृथ्वी की बागडोर भोलेनाथ को सौंप जाते हैं. इसलिए चातुर्मास में पड़ने वाले प्रदोष का विशेष महत्व माना गया है.
प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत शिव भक्तों का प्रिय व्रत है. इस व्रत में भगवान शिव की पूजा जीवन में कई संकटों को दूर और सुख समृद्धि प्रदान करने वाली मानी गई है. भगवान शिव चातुर्मास में माता पार्वती के साथ पृथ्वी लोक का भ्रमण करते हैं और शिव भक्तों को अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं.
प्रदोष व्रत का फल
प्रदोष व्रत का पौराणिक कथाओं में विशेष महत्व बताया गया है. प्रदोष व्रत के दौरा सुबह और शाम दोनों समय पूजा का विधान बताया गया है. इस दिन भगवान शिव का अभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. यह व्रत आर्थिक संकट को दूर करता है और वैवाहिक जीवन में खुशियां लाता है. घर की कलह का नाश होता है. घर में हर प्रकार की सुख समृद्धि बनी रहती है.
प्रदोष व्रत की विधि
प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शिव का अभिषेक करें. पंचामृत का पूजा में प्रयोग करें. धूप दिखाएं और भगवान शिव को भोग लगाएं. इसके बाद व्रत का संकल्प लें. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव त्रयोदशी तिथि में शाम के समय कैलाश पर्वत पर स्थित अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं.
प्रदोष काल पूजा का समय
29 सितंबर 2020 को इस दिन शाम की पूजा का मुहूर्त शाम 6 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 35 मिनट तक रहेगा.
Shani Margi 2020: मेष, सिंह और कन्या राशि वालों के लिए शनि मार्गी क्या फल लेकर आ रहे हैं, जानें