Premanand Ji Maharaj: 'अपने भाग्य का निर्माण खुद करना सीखो' जानें प्रेमानंद महाराज के अनमोल वचन
Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज के सुविचार आपके जीवन को एक नई दिशा दे सकते हैं. जानें वह क्यों कहते हैं कि अपने भाग्य का निर्माण हमें खुद करना चाहिए.
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Premanand Ji Maharaj Anmol Vachan: प्रेमानंद जी महाराज एक महान संत और विचारक हैं जो जीवन का सच्चा अर्थ समझाते और बताते हैं. प्रेमानंद जी के अनमोल विचार जीवन को सुधारने और संतुलन बनाएं रखने में मार्गदर्शन करते हैं.
प्रेमनांद महाराज कहते हैं कि हमारा जन्म जो हुआ है वो भाग्य के अधीन नहीं है, यह नवीन भाग्य निर्माण करने के लिए है नहीं तो आदेश नहीं देते भगवान. पशुओं को आदेश नहीं दिया जाता, वो भाग्य के अधीन है. केवल मनुष्य शरीर को ही आदेश दिया जाता है.
सब अपने अपने परिणाम को भोग रहे हैं. किसी देवता को भी आदेश नहीं दिया जाता, जो उनका काम है वो कर रहे हैं. मनुष्य शरीर कुछ भी कर सकता है. इस बात को पहचाने मुझे क्या करना चाहिए. यहां परिणाम उपस्थित करने का अवसर है. मनुष्य शरीर कुछ भी कर सकता है. भगवत प्राप्ति के लिए आप कुछ भी कर सकते हैं.
प्रेमानंद महाराज कहते हैं समझो माया के दिवानों, यहां से हमें जाना है कोई साथ नहीं जाएगा. यह माया की चाल है जो तुम्हें समझने नहीं दे रही. यहां से जाना है कोई साथ नहीं जाएगा. बस तुम फंस गए हो मोह दलदल में, याद नहीं आती मुझे जाना है. समझ नहीं आता मैं इस दुनिया में आया क्यों हूं. परिवार का पालन पोषण करने के लिए या हरि का नाम लेने के लिए. इस मोह से बाहर निकलो. समझ में नहीं आता में किस लिए आएं हैं. मनुष्य को कुटूंभ का मोह भी होता है, भजन करने का अवसर भी मिला है. उपासक को पीछे का मार्ग बंद कर देने चाहिए. भरोसा हरि का रखें. भगवान का भरोसा कभी आपका विश्वास नहीं तोड़ेगा.
पूरा दिन मनुष्य बैल की तरह काम करने में व्यतीत कर रहा है और रात्रि भोग और निद्रा में निकल रही है. आठों पहर आपके बेकार जा रहे हैं, आपने कभी इस बात पर विचार नहीं किया मेरा जन्म किस लिए हुआ है मैं जिंदगी में क्या कर रहा हूं और अपना कुशल चाहता हूं. स्वप्न में भी शांति नहीं मिल सकती जब तक भजन नहीं करोगे. बालक अवस्था खेल में चली गई, जवानी अंहकार में चल गई, वृद्ध आया तो रोग ने घेर लिया अब सोच नहीं सकते की भजन कर लें. मनुष्य ने अपना पूरा जीवन इन्हीं सब चीजों में निकाल दिया.
इसीलिए कहा गया है की अपने भाग्य का निर्माण खुद करना सीखें. कोई और आपको इस काम के लिए नहीं कहेगा और अगर यह समय निकल गया तो पुन: कभी वापस नहीं आएगा.
Premanand Ji Maharaj: भगवान हैं इसका क्या प्रमाण है? प्रेमानंद जी महाराज ने बताई यह वजह
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