Premanand Ji Maharaj Anmol Vachan: प्रेमानंद जी महाराज एक महान संत और विचारक हैं जो जीवन का सच्चा अर्थ समझाते और बताते हैं. प्रेमानंद जी के अनमोल विचार जीवन को सुधारने और संतुलन बनाएं रखने में मार्गदर्शन करते हैं.
कैसे समझे की लोग आपके साथ अच्छा नहीं करते, आप लोगों के साथ अच्छे हैं लेकिन लोग आपके साथ अच्छे नहीं हैं. आपके लाख अच्छा करने पर भी लोग बदले में बुरा करते हैं. जानते हैं प्रेमानंद जी विचार.
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि आपको उस समय सोचना है जब किसी का परोपकार किया जाता है तो सोचा जाता है भगवान ने हमे जो ज्ञान दिया वो मैने आपको दिया, भगवान ने हमारे पास जो वस्तु दी, उससे मैने आपका सहयोग किया. धन, बुद्धि से शरीर से इन सभी के द्वारा परोपकार (भलाई) होता है. यह सब भगवान के द्वारा दी हुई हैं. तो हमे इसके बदले धन्यवाद नहीं लेना. हमने आपकी सेवा की, अगर हमारे कारण आपका काम बना तो आप हमें धन्यवाद कहें, यह परोपकार नहीं कहलाता यह स्वार्थ कहलाता है.
हमने अच्छा किया इसके बदलने में हमें परिणाम के रुप में कुछ लेना नहीं है. जो हमारे साथ बुरा कर रहा है वो हमारे कर्म की पवित्रता के लिए हैं. जो हमारा पूर्व का कर्म है, पाप कर्म उसे पवित्र करने के लिए भगवान उससे कटु वचन चेष्टा करा रहे हैं.
कबीर दास जी कहते हैं- ''कबीरा निंदक नियेरे राखिये, आंगन कुटी छावायें बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुहाए.'' कबीर दास जी कहते हैं कि निंदक हमेशा दूसरों की बुराइयां करने वाले लोगों को अपने पास रखतें हैं , क्योंकि ऐसे लोग अगर पास रहेंगे तो आपकी बुराइयां आपको बताते रहेंगे.
इस बात को यह समझकर माफ कर देना चाहिए की मेरे किसी अनुचित कर्म का अहसास कराया जा रहा है. भगवान सबका कल्याण करते हैं वो अमंगल नहीं करते वो मंगल भवन हैं,सभी का मंगल ही करते हैं. यदि कोई हमारी निंदा करता है, अवेहलना करता है तो हमारे पापों की सफाई हो रही है.
सम्मान को सदैव विष के समान समझें, अपमान को अमृत के समान समझें और राधा-माधव का भजन करें. हमें बुरा तब लगता है जब हम सम्मान चाहते हैं और हमें सम्मान नहीं मिलता. आपको हमने सम्मान दिया आप हमें सम्मान दें, हमने आपका हित किया आप हमें धन्यवाद बोलें. यह हमारे अहंकार के लिए जरुरी माना गया है. लेकिन अगर आपकी कोई अवहेलना करता है तो उसे सहो और संसारिक भावनओं से छेड़ना है तो कानून का सहारा लें और भगवान का नाम जप करें.
Premanand Ji Maharaj: अपने मन को गंदी आदतों से कैसे बचाएं, जानें प्रेमानंद महाराज के अनमोल वचन
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