नई दिल्ली: देश में जन्माष्टमी का त्योहार पूरे धूम-धाम से मनाया जा रहा है. इस अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी. राष्ट्रपति ने अपने बधाई संदेश में कहा, "जन्माष्टमी के अवसर पर सभी देशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं. भगवान श्री कृष्ण ने 'निष्‍काम कर्म' अर्थात् फल की इच्छा किए बिना कर्म करने का संदेश दिया है. मेरी कामना है कि यह त्योहार सबके जीवन में हर्ष-उल्लास और उमंग लाएं."


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बधाई संदेश में देशवासियों को जन्माष्टमी की बधाई दी और उनके अच्छे स्वास्थ्य और सुखद जीवन की कामना की. पीएम मोदी ने कहा, ‘‘सभी देशवासियों को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं. जय श्रीकृष्ण.’’ उन्होंने कहा, ‘‘भगवान श्रीकृष्ण हमारे जीवन में खुशियां लाएं और हमें अच्छा स्वास्थ्य दें.’’''


क्यों मनाते हैं जन्माष्टमी 


शास्त्रों के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहणी नक्षत्र में हुआ था. इस दिन चंद्रमा वृष राशि में और सूर्य सिंह राशि में था. यही कारण है कि कृष्ण का जन्म उत्सव इसी काल में मनाया जाता है. इस दिन पूरी रात मंगल गीत गाने की परंपरा भी है.





कैसे मनाते हैं जन्माष्टमी 


हर जगह इस त्योहार को मनाने का अलग तरीका है. कहीं लोग भगवान कृष्ण को झूला झुलाते हैं तो कहीं के लोग भगवान कृष्ण की झांकी सजाते हैं. बता दें कि इस त्योहार में दही मटकी फोड़ने की भी परंपरा है.





इस बार दो दिन मनाई जाएगी कृष्ण जन्माष्टमी


जन्‍माष्‍टमी की तिथि को लेकर भी इस बार असमंजस है. दरअसल, इस बार कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी दो दिन (23 और 24 अगस्‍त) को पड़ रही है. हिन्‍दू मान्‍यताओं के अनुसार विष्‍णु के आठवें अवतार कृष्‍ण का जन्‍म भादो माह की कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इस हिसाब से अष्‍टमी 23 अगस्‍त को पड़ रही है जबकि रोहिणी नक्षत्र इसके अगले दिन यानी कि 24 अगस्‍त को है. इस हिसाब से इस बार अष्‍टमी और रोहिणी नक्षत्र का संयोग नहीं हो पा रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि फिर जन्‍माष्‍टमी का व्रत किस दिन रखा जाए? इसलिए इस बार दो दिन यह त्योहार मनाया जा रहा है.


जन्माष्टमी में पूजा विधि 


जन्माष्टमी की पूजा में भजन और गायन करें. एकादशी की ही तरह जन्माष्टमी का भी उपवास करें. उपवास में केवल फल, जल और दूध लें. परेशानी होने पर व्रत ना करें. नियमित रूप से पूजा करें. बता दें कि इस पूजा में भगवान श्री कृष्ण को तीन बार भोग लगाने का नियम है. व्रत रात में 12.01 से 12.46 मिनट तक पूजा करने के बाद ही खत्म करें. एकादशी के अनुसार व्रत रखने पर सूर्योदय के बाद ही पारण करें. घर को सजाना ना भूलें. पूजा के स्थान को अच्छे से साफ करें. घर को सजाना ना भूलें. गुड़, तिल, अनाज का दान करने से लाभ होगा.


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