(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Quran: मजदूर के मेहनताना देने को लेकर 'कुरान' क्या कहता है, कब और कितनी जल्दी देना है?
Quran: इस्लाम धर्म (Islam) की पवित्र पुस्तक कुरान में रिश्तों के महत्व और उन्हें निभाने की हिदायत दी गई है. जिसमें मजदूरों की मजदूरी को लेकर भी कड़ी हिदायत दी गई है.
Quran: इस्लाम (Islam) एक ऐसा मजहब जो समाज के प्रत्येक वर्ग और आपसी रिश्ते को अच्छे तरीके से निभाने की हिदायत देता है. इंसान को किस तरह का व्यवहार करना चाहिए, इन सभी बातों को लेकर कुरान (Quran) में हिदायत दी गई है.
कुरान (Quran) में पड़ोसी के साथ किस तरह का व्यवहार करना चाहिए इस बात को भी बताया गया है. इस्लाम में मजदूरों के साथ किस तरह का बर्ताव रखना चाहिए, यह भी स्पष्ट रुप से बताया गया है.
इस्लाम के शुरुआती दौर में जब नबी रसूल मोहम्मद ने लोगों के बीच में पैगाम देना शुरू किया तो उस समय अरब (Arab) में गुलामी प्रथा काफी जोरों थी. अरब में मेहनत मजदूरी (Mazdoori) का काम गुलाम करते थे.
अरब (Arab) के व्यापारी दूर दराज के क्षेत्रों से लाए गए लोगों को पकड़ उन्हें खरीदकर जीवनभर के लिए अपना गुलाम बना लेते थे. उन गुलामों के साथ काफी जुल्म किया जाता था, उन्हें मेहनत मजदूरी के बदले रोटी और कपड़े दिए जाते थे. निहायत सख्त काम के बदले में उन्हें भरपेट भोजन भी नहीं दिया जाता था.
गुलामों (Slaves) की ऐसी दयनीय स्थिति को देखते हुए इस्लाम ने गुलामों की आजादी के लिए जन्नत की बशारत की बात कही. कुरान में गुलामों के साथ अच्छा व्यवहार करने और उन्हें आजाद करने के लिए आयतों में हुक्म दिया. दिल्ली वक्फ बोर्ड की मस्जिद से जुड़े मौलाना एजाज कासमी बताते हैं कि कुरान (Quran) में इन विषयों पर विस्तार से बताया गया है-
(कुरान : 24-32) में बताया गया है कि इस्लाम को मानने वाले अपनी बेशौहर औरतों, नेक दिल गुलामों व कनीजों का निकाह (Marriage) सही वक्त पर कर दो. ऐसा करने से अल्लाह उनके करम व फजल से आप पर रहमतें बरसाएगा.
(कुरान : 24-33) में बताया गया है कि अगर तुम्हारा गुलाम मकातबत (किसी भी तरह के एग्रीमेंट के सहारे आजाद होना) होना चाहता है तो तुम उसे खुशी खुशी आजाद कर दो, और तो और उनके हिस्से में जो भी माल आता है तुम उसे अता कर दो.
(कुरान : 53-39) में बताया गया है कि इंसान को वही मिलता है जिस चीज के लिए वो प्रयास करता है. नबी ने अपने लोगों से फरमाया है कि 'अल्लाह को वो बंदे पसंद आते हैं जो अपने परिवार का पेट पालते हैं, जो काम करते हैं. उन्होंने कहा कि 'सबसे बेहतरीन खाना वो होता है, जो आदमी मेहनत से कमाकर खाता है.'
तिरमिजी में हज़रत अली (Hazrat Ali) अपने बेटे इमाम हसन (Imam Hussain) को बताते हैं कि रोजी रोटी को कमाने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए, कभी भी दूसरों के पैसों पर बुरी नजर नहीं डालनी चाहिए. मजदूरों से किस तरह का व्यवहार करना चाहिए इसको लेकर हज़रत अली का प्रसिद्ध जुमला है, कि मजदूरों का पसीना सूखने से पहले ही उनकी मजदूरी अता कर देनी चाहिए.
इस्लाम धर्म (Islam Religion) की इन आयतों की वजह से काफी बड़े बदलाव आए. अल्लाह (Allah) फरमाते हैं कि सभी के साथ अच्छे से पेश आओ. किसी भी कमजोर को डराने-धमकाने या लुटना नहीं चाहिए. ऐसा करने वाले को अल्लाह कभी माफ नहीं करता है.
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