पूजा-पाठ करते समय शुभ और पवित्र चीजों का इस्तेमाल का विशेष ध्यान रखा जाता है. छोटी-छोटी चीजें भी शुभ होने पर ही पूजा का पूरा फल मिलता है. वहीं, साधक की जरा सी लापरवाही पूजा को अशुभ कर सकती है. ऐसे में पूजा में इस्तेमाल होने वाले बर्तनों का भी विशेष ध्यान रखा जाता है. हमें कई बार इस बात की जानकारी नहीं होती कि पूजा के दौरान हम किस धातु के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. आइए जानें पूजा के समय किस धातु का प्रयोग शुभ होता है.  


देवताओं के लिए तांबे का प्रयोग


धार्मिक मान्यता है कि देवताओं को तांबा बहुत प्रिय होता है. इसलिए किसी भी देवता की पूजा के दौरान तांबे के बर्तन का इस्तेमाल शुभ माना जाता है. इसे लेकर एक श्लोक का भी उल्लेख किया गया है. 


“तत्ताम्रभाजने मह्म दीयते यत्सुपुष्कलम् ।
अतुला तेन मे प्रीतिर्भूमे जानीहि सुव्रते।।
माँगल्यम् च पवित्रं च ताम्रनतेन् प्रियं मम ।
एवं ताम्रं समुतपन्नमिति मे रोचते हि तत्।
दीक्षितैर्वै पद्यार्ध्यादौ च दीयते।


इसका अर्थ है कि पूजा के दौरान तांबा मंगलस्वरूप ,पवित्र और भगवान को अत्यंत प्रिय भी है. तांबे के पात्र में कुछ भी अर्पित करने से भगवान अत्यंत प्रसन्न होते हैं. इसी कारण पूजा के समय तांबे के बर्तनों का उपयोग किया जाता है.  


देव कार्य न करें चांदी का इस्तेमाल


पूजा के दौरान चांदी के पात्रों से अभिषेक पूजन किया जाता है. वहीं, तांबे के पात्र से दुग्धाभिषेक वर्जित है. कहते हैं कि चांदी, चंद्र देव का प्रतिनिधित्व करती है. चंद्र देव की पूजा के दौरान उनके आशीर्वाद स्वरूप शीतलता, सुख-शांति प्रदान करता है. लेकिन देवकार्य के दौरान चांदी का इस्तेमाल वर्जित है.चांदी का इसेतेमाल पितरों के लिए किया जा सकता है, लेकिन देवों के लिए नहीं.  



न करें इन पात्रों का इस्तेमाल


पूजा में लोहे के बर्तन भूलकर भी इस्तेमाल नहीं करें. लोहे में जंग लगने के कारण उन्हें शुद्ध नहीं माना जाता. इसलिए पूजा में इनका इस्तेमाल वर्जित होता है. हालांकि, शनिदेव की पूजा में लोहे के बर्तन का इस्तेमाल किया जा सकता है. वहीं, स्टील, एल्युमीनियम धातु के बर्तनों को भी पूजा में यूज नहीं करना चाहिए. ये सभी धातु अपवित्र मानी जाती हैं. 


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