Puja Path: इस माला से जाप करने से होती है धन-दौलत की बरसात, मां लक्ष्मी की मिलती है कृपा
Puja Path: पूजा-पाठ का हर धर्म में विशेष महत्व है. पूजा पाठ का हर व्यक्ति की लाइफ में अलग प्रभाव है. मान्यता है कि नियमित रूप से पूजा आदि करने से भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
Puja Path: पूजा-पाठ का हर धर्म में विशेष महत्व है. पूजा पाठ का हर व्यक्ति की लाइफ में अलग प्रभाव है. मान्यता है कि नियमित रूप से पूजा आदि करने से भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है. वहीं, मंत्र जाप को भी पूजा आदि के समय सबसे प्रभावशाली माना गया है. कहते हैं कि मंत्रों के जाप से मन एकाग्र और स्थिर होता है. धार्मिक ग्रंथों में अलग-अलग मंत्रों के जाप का अपना अलग महत्व बताया गया है. हर देवी-देवता का अपना अलग मंत्र होता है और मंत्र जाप का पूरा लाभ लेने के लिए उसे सही माला से करना भी बेहद जरूरी है. आइए जानते हैं मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए किस माला का इस्तेमाल करना चाहिए.
जीवन में मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए स्फटिक की माला (Sphatik Garland) बहुत ही चमत्कारी है. बता दें कि स्फटिक एक रंगहीन, पारदर्शी, स्पष्ट पत्थर है, जो सफेद रंग का चमकदार होता है. इतना ही नहीं, कांच की तरह दिखने वाले क्रिस्टलीय पत्थर की कटिंग बीड्स बनाकर भी माला बनाई जाती है. स्फटिक बर्फीले पहाड़ों पर बर्फ के नीचे टुकड़ों के रूप में पाया जाता है.
स्फटिक की माला के लाभ (Benefits of Sphatik Garland)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार स्फटिक की माला से जाप करने पर शुक्र ग्रह की शुभता मिलती है. अगर किसी जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह खराब दशा में हो और अशुभ फल मिल रहा हो तो स्फटिक की माला से शुक्र के मंत्र जप से लाभ मिलता है. साथ ही, कहते हैं कि मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए स्फटिक की माला से जप करें. मां दुर्गा, मां लक्ष्मी, मां सरस्वती के मंत्रों का जाप भी स्फटिक की माला से करना लाभकारी बताया गया है.
आर्थिक स्थिति में होता है सुधार
अगर आप आर्थिक स्थिति में सुधार चाहते हैं तो शुक्रवार के दिन स्फटिक की माला से मां लक्ष्मी के मंत्र का जप करें. ऐसा करने से आर्थिक स्थिति में एकदम सुधार दिखाई देगा. कहते हैं कि इस माला का जप करने से घरों की कलह दूर होती है और दांपत्य जीवन में मधुरता आती है. मान्यता है कि पूजा घर में मां लक्ष्मी को स्फटिक की माला अर्पित करने से मां का आशीर्वाद मिलता है.
स्फटिक मंत्र-
‘पंचवक्त्र: स्वयं रुद्र: कालाग्निर्नाम नामत:’
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