Puja Path: पूजा या व्रत से पहले क्यों लेते हैं संकल्प
Puja Path: शास्त्रों में पूजा-पाठ की विधियां बताई गई हैं. प्रतिदिन की सामान्य पूजा से लेकर विशेष अनुष्ठान में इन विधि-विधान का पालन करना जरूरी होता है. जानते हैं पूजा में सकंल्प से जुड़ी खास बातें.
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Puja Path: हिंदू धर्म में पूजा-पाठ से जुड़े कई नियम बताए गए हैं. पूजा-व्रत से पूर्ण फल की प्राप्ति के लिए इन नियमों का पालन करना जरूरी होता है. शास्त्रों में बताया गया है कि पूजा पाठ की शुरुआत से पहले संकल्प लेना जरूरी होता है. व्रत की शुरुआत से पहले भी संकल्प लेने का विधान है क्योंकि संकल्प लेना भी पूजा प्रकिया का ही एक अनिवार्य अंग माना जाता है.
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास कहते हैं कि, पूजा-व्रत से पहले यदि संकल्प लिया जाए तो इससे उसका शुभ फल शीघ्र प्राप्त होता है. आइये जानते हैं संकल्प कब और कैसे लिया जाता है और यह क्यों इतना जरूरी हो जाता है.
संकल्प के बिना पूजा का सारा फल देवराज इंद्र को प्राप्त होता है
धार्मिक विद्वानों का मानना है कि पूजा या व्रत से पहले यदि संकल्प न लिया जाए तो वह अधूरी मानी जाती है और पूजा का सकारात्मक फल नहीं मिलता है. वहीं धार्मिक मान्यता के अनुसार जो लोग बिना संकल्प के पूजा या व्रत करते हैं उनके पूजा का पूरा फल देवराज इंद्र को प्राप्त हो जाता है. इसलिए प्रतिदिन की सामान्य पूजा हो या फिर विशेष धार्मिक अनुष्ठान पूजा से पहले संकल्प जरूर लें.
क्या है संकल्प (What is Sankalp)
संकल्प लेने का अर्थ होता है अपने इष्टदेव या फिर स्वयं को साक्षी मानकर यह संकल्प लेना कि हम जिस मनोकामना के लिए यह पूजा या व्रत करने जा रहे हैं उस पूजन को पूर्ण करें.
कैसे लेते हैं (Sankalp Vidhi)
संकल्प लेने की विशेष विधि होती है. इसमें सबसे पहले हाथ में जल, अक्षत और फूल लेकर भगवान गणेश (Lord Ganesh) का ध्यान किया जाता है. क्योंकि श्रीगणेश ही सृष्टि के पंचमहाभूतों (अग्नि, पृथ्वी, जल, वायु और आकाश) के अधिपति हैं. इस प्रकार संकल्प लेकर पूजा करने से पूजा बिना किसी विघ्न के पूर्ण होती है. लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि आपने जिस व्रत या पूजा के लिए संकल्प लिया हो उसे पूरा जरूर करें. संकल्प लेने के बाद व्रत या पूजा को अधूरा न छोड़ें.
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