Jagannath Puri Rath Yatra 108 Pots Snan: भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा (Rath Yatra) में रथों की शोभा देखते ही बनती है. इसमें शामिल तीन रथों के रंग और नाम अलग-अलग हैं. बलराम के रथ को लाल ध्वज कहते हैं जो लाल और हरे रंग का होता है. बहन सुभद्रा के रथ को पद्म रथ कहा जाता है जो काले और लाल रंग का होता है. भगवान जगन्नाथ के रथ (Lord Jagannath Rath Yatra 2022) को गरुड़ध्वज के नाम से जाना जाता है जो लाल और पीले रंग का होता है. सभी रथ नीम की लकड़ियों से तैयार किए जाते हैं. इसको बनाने में नुकीली चीज और कीलों का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
रथ के लिए लकड़ी का चुनाव बसंत पंचमी से शुरू होता है और रथ निर्माण का कार्य अक्षय तृतीया को शुरू किया जाता है. रथ यात्रा (Rath Yatra) शुरू करने से पहले भगवान जगन्नाथ, बलराम जी और सुभद्रा देवी को स्नान करा कर 15 दिन के लिए मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं.
क्यों कराया जाता है भगवान को 108 घड़ों से स्नान
- सनातन धर्म में जगन्नाथ पुरी की रथयात्रा (Puri Rath Yatra) का बड़ा महत्व है. यह रथ यात्रा हर वर्ष बड़े हर्षोल्लास के साथ निकाली जाती है. इसमें लाखों की संख्या में भक्तगण शामिल होते हैं. जगन्नाथ का अर्थ होता है जगत के स्वामी.
- रथ यात्रा निकालने से पूर्व सनातन धर्म की परंपरा के अनुसार भगवान जगन्नाथ, बलराम जी और सुभद्रा जी को 108 घड़ों के जल से स्नान कराया जाता है. इसे सहस्त्रधारा स्नान के नाम से जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि 108 घरों के ठंडे जल से स्नान करने के बाद तीनों देवता बीमार हो जाते हैं. इसलिए वह एकांतवास में चले जाते हैं.
- मंदिर का कपाट 15 दिनों के लिए बंद कर दिया जाता है जिससे देवता गण को आराम मिल सके. उसके बाद भव्य रथयात्रा ( Rath Yatra ) निकाली जाती है. जिससे लोग भगवान के दर्शन का लाभ प्राप्त कर सकें.
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