Pushya Nakshatra July 2024: सभी 27 नक्षत्रों में पुष्य नक्षत्र को विशेष शुभ माना गया है. वहीं जब कभी रविवार को ये नक्षत्र आता है तो ये रवि पुष्य नक्षत्र कहलाते हुए खास योग का निर्माण करता है.

 

पुष्य नक्षत्र पर धर्म-कर्म के साथ ही दान-पुण्य और खरीदारी करने की परंपरा है. इस योग में किए गए पूजा-पाठ और शुभ कामों से कुंडली के ग्रह दोष शांत हो सकते हैं. पुष्य नक्षत्र में यदि आप अपने स्वास्थ्य, करियर या ज़िन्दगी के किसी भी क्षेत्र की शुरुआत करते है, तो उसमें आपके सफल होने के योग कई ज्यादा बन जाते है.

 

इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार खरीदारी करें. इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स, ऑटोमोबाइल, कपड़े, वाहन, फर्नीचर, ज्वैलरी और अन्य घरेलू सामान की खरीदारी करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है.

 

घर में आई संपत्ति या समृद्धि चिरस्थायी रहती है. इसके अलावा जमीन, मकान में निवेश करना चाहते हैं, तो यह दिन फायदेमंद साबित हो सकता है.

 

ज्ञान, शिक्षा, आध्यात्मिक कार्य, मंत्रों, यंत्रों, पूजा, जाप और अनुष्ठान के लिए दिन शुभ है. इस शुभ नक्षत्र के दौरान विवाह को छोड़कर किए गए हर तरह के धार्मिक और आर्थिक कार्यों से जातक की उन्नति होती है. इस सिद्ध मुहूर्त में सिद्ध यंत्र स्थापित करना चाहिए. 

 

इस बार रवि पुष्य नक्षत्र योग 7 जुलाई 2024 आषाढ़ शुक्ल की द्वितीया तिथि को बन रहा है. इस दिन पुष्य नक्षत्र की शुरुआत सुबह 04 बजकर 38 मिनट से होगी और समापन अगले दिन यानी 8 जुलाई को सुबह 06 बजकर 03 मिनट पर होगा. 

 

साथ ही इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, बुधादित्य योग, हर्षण योग भी बन रहे है, जिससे रवि पुष्य योग की शक्ति और अधिक बढ़ जाएगी.


  • इस शुभ संयोग में अपने घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर हल्दी से स्वस्तिक बनाकर उनके बीच में कुमकुम की बिंदी लगाएं और घर में श्रीसूक्त, महालक्ष्मी सूक्त, विष्णु श्रीसूक्त, महालक्ष्मी सूक्त, लक्ष्मी स्त्रोत या कनकधारा स्तोत्र का पाठ स्वयं करें या कर्मकाण्डी ब्राह्मण से करवाएं. इससे माता महालक्ष्मी प्रसन्न होंगी, उनकी विशेष कृपा के पात्र बनेंगे एवं घर में स्थायी वास भी होगा. रोजाना इनका पाठ करने से वैभव की प्राप्ति होती है.

  • इस दिन दक्षिणावर्ती शंख और श्रीयंत्र का विधि अनुसार पूजन कर अपने घर, ऑफिस, फैक्ट्री में स्थापित करने से व्यापार में अप्रत्याशित उन्नति और लाभ देता है.
      

  • घर में धन-धान्य और वैभव बना रहे इसके लिए श्रीविष्णु लक्ष्मी जी पर हल्दी चढ़ाकर उस चढ़ी हल्दी में थोड़ा पानी मिलाकर उससे अपनी तिजोरी पर “श्री” लिखे. फिर एकाक्षी नारियल को लाल कपडे में लपेटकर तिजोरी या मंदिर में रखे. और स्फटिक माला से ऊँ ऐं हृं श्रीं एकाक्षिनालिकेराय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें.  

  • इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर तांबे के एक लोटे में स्वच्छ जल भरकर इसमें शमी का पत्ता, कनेर का पुष्प, शहद, अक्षत, दूध और मिश्री कुछ मात्रा में डालकर सूर्य को दोनों हाथों से अर्घ्य दें. अर्घ्य देते समय तांबे का लोटा कंधे से ऊपर होना चाहिए एवं अपने सिर से ऊपर जल की धारा डालनी चाहिए एवं ज्यादा जल जमीन पर न गिरे एवं पैरों पर ना लगे इसका विशेष ध्यान रखें. जब आप जल की धारा डालें तो उस धारा के अंदर से सूर्य की रोशनी को अपने शरीर के अंदर जाते हुए महसूस करें एवं ऊँ सूर्याय नमः मंत्र का उच्चारण करें. इससे मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है.


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