Putrada Ekadashi 2022: पुत्रदा एकादशी व्रत के पारण के नियम जानना है जरूरी, जरा-सी भूल से नहीं मिलेगा उपवास का फल
Putrada Ekadashi 2022 Paran Rules: पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी आज 13 जनवरी के दिन है. इसे पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवना विष्णु जी की पूजा अर्चना की जाती है.
Putrada Ekadashi 2022 Paran Rules: पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी (Ekadashi 2022) आज 13 जनवरी के दिन है. इसे पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi 2022) के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवना विष्णु जी की पूजा (Lord Vishnu Puja) अर्चना की जाती है. पुत्रदा एकादशी के दिन व्रत (Putrada Ekadashi Vrat) रखने से दंपत्ति को संतना की प्राप्ति होती है. इस लिए संतान प्राप्ति की कामना रखने वाले दंपत्ति को ये व्रत रखने की सलाह दी जाती है. शास्त्रो में बताया गया है कि एकादशी व्रत का फल तभी मिलता है, जब उसके नियमों का पालन किया जाए.
पुत्रदा एकादशा का व्रत (Putrada Ekadashi Vrat) आज रखा गया है, लेकिन व्रत का पारण (Vrat Paran Rules) कल 13 जनवरी के दिन किया जाएगा. एकादशी व्रत का पारण भी बेहद महत्वपूर्ण है. अगर नियमपूर्वक एकादशी के व्रत का पारण नहीं किया जाए, तो कहते हैं कि उपवास का पूरा फल नहीं मिलता. आइए जानते हैं एकादशी व्रत के पारण के कुछ जरूरी नियम.
पुत्रदा एकादशी व्रत पारण नियम (Putrada Ekadashi Vrat Paran Niyam)
कहते हैं कि एकादशी व्रत का पारण (Ekadashi Vrat Paran) में समय का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. मान्यता है कि पारण अगर शुभ मुहूर्त के अंदर नहीं किया जाता, तो व्रत का फल नहीं मिलता. मान्यता है कि अगर व्रत के पारण में जरा-सी भी चूक हो जाए तो भी व्रत का फल नहीं मिलता.
बता दें कि व्रत खोलने को पारण कहा जाता है. द्वादशी तिथि के समय में व्रत खोलना व्रत पारण करना कहलाता है. व्रत का पारण सदैव सूर्योदय के बाद ही किया जाना चाहिए. वहीं, शास्त्रों में लिखा है कि एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले ही कर लें. द्वादशी तिथि समाप्त होने के बाद अगर पारण किया जाता है, तो उससे साधक को पाप लगता है.
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ज्योतिषियों का कहना है कि अगर तिथि के घटने-बढ़ने के कारण द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो रही है, तो ऐसी स्थिति में व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही करें. साथ ही., इस बात का ध्यान रखें कि एकादशी व्रत का पारण हरि वासर में भी नहीं करें.
बता दें कि द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई तिथि को हरि वासर कहा जाता है. व्रत पारण के लिए हरि वासर समाप्त होने का इंतजार करें.
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