Radha Ashtami 2020: इस बार राधा अष्टमी त्योहार के शुभ मुहूर्त की शुरुआत आज 12:21 बजे से हो रही है. कल 26 अगस्त को सुबह 10:39 बजे शुभ मुहूर्त का समापन होगा. ये त्योहार कृष्ण जन्म अष्टमी की तरह विशेष कर मथुरा, वृंदावन और बरसाना में बड़े ही धूमधाम और श्रद्गा से मनाया जाता है. माना जाता है कि राधा रानी का जन्म इसी दिन हुआ था. इसलिए देश के अन्य जगहों पर श्रद्धालु त्योहार को बड़े ही उत्साह से मनाते हैं.


उत्साह और श्रद्धा से मनाया जाता है राधा अष्टमी


कहा जाता है कि श्री कृष्ण के बिना राधा अधूरी है. कृष्ण के नाम से पहले उनका नाम लेना जरूरी है. वेद, पुराण में राधा की प्रशंसा 'कृष्ण वल्लभ' के तौर पर की गई है. मान्यता है कि मोक्ष की प्राप्ति राधा जाप से मिलती है. राधा अष्टमी पर राधा के धातु की मूर्ति पूजी जाती है. पूजा के बाद प्रतिमा को योग्य ब्राह्मण को समर्पित कर दिया जाता है.


हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस मौके पर उत्तर प्रदेश के बरसाना में हजारों श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं. बरसाना को राधा का जन्म स्थान माना जाता है. बरसाना में पूरी रात चहल पहल रहती है. कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है. कार्यक्रमों की शुरुआत धार्मिक गीतों और भजन से होती है. भक्त इस मौके पर उपवास रखते हैं. ऐसा कहा जाता है कि राधा अष्टमी का उपवास रखनेवाले को उनका दर्शन होता है. इस बार राधा अष्टमी का उपवास 26 अगस्त के दिन रखा जाएगा.


राधा अष्टमी का उपवास कैसे रखें


सुबह में नहाने के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें.


पूजा घर के मंडप में कलश स्थापित करें.


कलश पर तांबे का बर्तन रखें.


राधा की मूर्ति को पंच अमृत से नहाएं.


पंच अमृत में दूध, दही, शहद, तुलसी दाल और घी को शामिल करें.


नहाने के बाद सुंदर कपड़े और आभूषण से राधा का श्रंगार करें.


अब, राधा की मूर्ति को कलश पर रखे बर्तन में रख दें.


उसके बाद धूप और बत्ती से आरती करें.


अब राधा को प्रसाद और भोग पेश करें.


पूजा के बाद पूरा दिन उपवास रखें.


अगले दिन, खाना और दक्षिणा महिलाओं और ब्राह्मणों को दें.


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