Radha Ashtami 2020: राधा अष्टमी का पर्व राधारानी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. राधा भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय थीं. दोनों में अटूट प्रेम था. भगवान श्रीकृष्ण और राधा का प्रेम दुनिया भर में त्याग और सर्मपण का श्रेष्ठ उदाहरण माना जाता है. राधा और कृष्ण के प्रेम की कथाएं अनगिनत हैं. इसी ही एक कथा है राधा रानी श्रीकृष्ण से नाराज हो गई थीं.


श्रीकृष्ण से एक बार राधा और उनकी सभी सखियां बहुत नाराज हो गईं. श्रीकृष्ण ने राधा की नाराजगी को दूर करने के लिए कई प्रयास किए लेहिन राधा नहीं मानी. राधा इस कदर भगवान श्रीकृष्ण से नाराज थी कि उन्होंने श्रीकृष्ण को स्पर्श करने से भी मना कर दिया.


राधा, भगवान श्रीकृष्ण से इस कारण हुई नाराज
पौराणिक कथा के अनुसार कंस ने श्रीकृष्ण को मारने के लिए अरिष्टासुर नाम के राक्षस को गोकुल में भेजा. इस राक्षस का श्रीकृष्ण ने वध कर दिया. इस बात से राधा श्रीकृष्ण से नाराज हो गईं. दरअसल ये राक्षस बैल के रूप में श्रीकृष्ण का वध करने आया था. राधा इस बात से नाराज थी कि श्रीकृष्ण गौ हत्या का पाप किया है. राधा इस बात से श्रीकृष्ण से नाराज थीं. वध करने के बाद श्रीकृष्ण ने राध को स्पर्श कर लिया. तब राधा ने श्रीकृष्ण से कहा वे उन्हें स्पर्श न करें. क्योंकि गौ हत्या का जो पाप किया है. स्पर्श करने पर वे भी उसकी भागीदार बन जाएंगी. श्रीकृष्ण ने राधा को समझाया कि वे परेशान न हों, उन्होंने कोई गौ हत्या नहीं की है उन्होंने राक्षस का वध किया जो बैल का रूप लेकर आया था. लेकिन श्रीकृष्ण की किसी बात को राधा सुनने को तैयार नहीं हुईं. राधा के साथ उनकी गोपिकाओं ने भी श्रीकृष्ण से कहा कि जब वत्रासुर की हत्या करने पर इन्द्र को ब्रह्मा हत्या का पाप लगा था तो आपको भी पाप लगेगा.


पाप से मुक्त होने के लिए श्रीकृष्ण ने राधा से पूछा उपाय
जब राधा किसी भी सूरत में मानने को तैयार नहीं हुईं तो श्रीकृष्ण ने राधा से पाप से मुक्त होने का उपाय पूछा. तब राधा ने श्रीकृष्ण से कहा सभी तीर्थों में स्नान के बाद ही वे इस पाप से मुक्त हो सकते हैंं. इतना सुनते ही श्रीकृष्ण ने अपने पैर को अंगूठे को जमीन की ओर दबाया और पाताल से जल निकल आया. इस जल से एक कुंड का निर्माण हुआ जिसे कृष्ण कुंड कहा गया है. इस कुंड राधा से स्नान करने के लिए कहा लेकिन उन्होंने मना कर दिया. राधा ने कहा वे इस कुंड में स्नान नहीं करेंगी. राधा ने कहा वे अपने लिए एक मनोहर कुंड बनाएंगी. कहते हैं कि इस कुंड को राधा ने अपने कंगन से खोदकर तैयार किया था. कुुंड जब तैयार हो गया तो श्रीकृष्ण ने कहा कि राधा मेरे कुंड से जल ले लो और अपने कुंड को भर लो. लेकिन राधा ने इंकार कर दिया और कहा कि गंगा जल को घड़ों में भरकर इस कुंड को भरेंगे. राधा ने गंगा जल से अपने कुंड को भर लिया लेकिन जब बारी तीर्थों को बुलाने की आई तो वे असमंजस की स्थिति में पड़ गईं तब श्रीकृष्ण के कहने पर सभी तीर्थ प्रकट हुए और राधारानी से आज्ञा लेकर कुंड में आ गए. यह देखकर राधा रानी की आंखों में आंसू आ गए और उनकी नाराजगी दूर हो गई. मथुरा के गोवर्धन में यह कुंड मौजूद हैं.


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