(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Radha Ashtami 2020: 26 अगस्त को है राधा अष्टमी का पर्व, ये 8 सखियां राधारानी का रखती थीं विशेष ध्यान
Radha Ashtami 2020: राधा अष्टमी का पर्व 26 अगस्त को है. पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी की तिथि को राधा अष्टमी पर्व के रूप में मनाते हैं. इस दिन राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से जीवन में प्रेम और सद्भाव बढ़ता है और संकटों से मुक्ति मिलती है.
Radha Ashtami 2020: राधा अष्टमी का पर्व राधारानी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. राधा का जब जिक्र आता है तो उनकी सखियों का भी जिक्र आता है. राधा रानी की वैसे तो अनगिनत सखियां थीं लेकिन इनमें से आठ सखियां ऐसी थीं, जो राधा के साथ साथ भगवान श्रीकृष्ण के भी बहुत करीब थीं. राधा की ये सखियां राधा का पूरा ध्यान रखती थीं. आइए जानते हैं राधा की प्रिय सखियों के बारे में-
राधारानी की आठ सखियां थीं, जिन्हे अष्टसखी कहा जाता है. इन अष्ट सखियों के बारे में यह पद बहुत प्रसिद्ध है- अष्टसखी करतीं सदा सेवा परम अनन्य, श्रीराधामाधव युगल की कर निज जीवन धन्य। जिनके चरण सरोज में बारम्बार प्रणाम, करुणा कर दें युगल पद-रज-रति अभिराम।।
राधा रानी की अष्ट सखियों के नाम राधारानी की सबसे करीबी सखियों में ललिता देवी, विशाखा, चित्रा, इन्दुलेखा, चम्पकलता, रंगदेवी, तुंगविद्या और सुदेवी थीं. ये सभी विशेष गुणों से युक्त थीं और राधा रानी का पूरा ध्यान रखती थीं. ये अष्ट सखियां कई कलाओं में निणुण थीं. इन्हें संगीत और प्रकृति के रहस्यों को गहरा ज्ञान था.
श्रीललिता देवी इन्हे ललिता देवी भी कहा जाता है. ये राधा की सबसे प्रिय सखी थीं. इनके जन्मदिन को ललिता सप्तमी के रूप में जाना जाता है. ललिता देवी के बारे में कहा जाता है कि वे मोरपंख के रंग की साड़ी धारण करती थीं. ललिता को सुंगध की विशेष समझ और ज्ञान था. ये राधा को ताम्बूल यानि पान का बीड़ा देती थीं.
विशाखा राधा की दूसरी सखी का नाम विशाखा था. विशाखा बहुत सुंदर और इनकी कान्ति सौदामिनी की तरह थी. राधा को कर्पूर-चन्दन से निर्मित वस्तुएं प्रस्तुत करती थीं. ये सुदंर वस्त्र बनाने में निणुण थीं.
चित्रा चित्रा राधा की तीसरी प्रिय सखी हैं. चित्रा के अंगों की चमक केसर के भांति थी. चित्रा काचवर्ण की सुन्दर साड़ी धारण करती थीं. ये राधा जी का श्रृंगार करती थीं. चित्रा के बारे में कहा जाता है कि वे इशारों में राधा जी की बातों को समझ लेती थीं.
इन्दुलेखा इंदुलेखा राधा की चौथी प्रिय सहेली थीं. ये लाल रंग की साड़ी पहनती थीं. इनके बारे में कहा जाता है कि ये सदैव प्रसन्न रहती थीं और मुख एक मुस्कान बनी ही रहती थी. ये नृत्य और गायन विद्या में निपुण थीं.
चंपकलता चंपकलता की सुदंरता चंपा के पुष्प के समान थी. इसीलिए इन्हें चंपकलता कहा जाता है. चंपकलता नीले रंग की साड़ी पहनती थीं. ये भी राधा जी का श्रृंगार किया करती थीं. रंगदेवी रंगदेवी जवाकुसुम रंग की साड़ी पहनती थीं. ये राधा जी के चरणों में जावक यानि महावर लगाने का कार्य करती थीं. ये सभी व्रतों के विधान का ज्ञान रखती थीं.
तुंगविद्या तुंगविद्या पीले रंग की साड़ी पहनती थीं और इनकी बुद्धि बहुत तीक्ष्ण थी. ये अपनी बुद्धिमत्ता के लिए विख्यात थीं. इन्हे ललित कलाओं की विशेष समझ थी. ये संगीत में भी निणुण थीं.
सुदेवी सुदेवी अति सुंदर थीं. ये मूंगे के रंग की साड़ी पहनती थीं और राधा को जल पिलाने का कार्य करती थीं. इन्हें जल को निर्मल और शुद्ध करने का ज्ञान था.
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