Radha Ashtami Upaye: कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna janmashtami) से ठीक 15 दिन बाद भाद्रपद मास (bhadrapad month) के शुक्ल पक्ष की अष्टमी (ashtami of shukla paksha) तिथि को राधा अष्टमी (radha ashtami) मनाई जाती है. इस दिन राधा जी का जन्म हुआ था, जिसे देशभर में राधा अष्टमी के नाम से मनाया जाता है. कहते हैं राधा अष्टमी का व्रत रखने पर ही जन्माष्टमी के व्रत का फल मिलता है. इसका पौराणिक महत्व भी काफी खास है. कहते हैं कि राधा अष्टमी का व्रत रखने से मां लक्ष्मी (maa laxmi) प्रसन्न होती हैं और आपका घर संपदा से भर देती हैं. कई जगह राधा जी के साथ-साथ मां लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है. कहते हैं इस दिन से 16 दिन तक चलने वाले महालक्ष्मी व्रत (mahalaxmi vrat) का आरंभ होता है.

  


ये भी मान्यता है कि राधा अष्टमी से लेकर अगले 10 दिन तक कुछ विशेष कार्य किए जाएं, तो घर में खुशहाली आती है और मां लक्ष्मी का वास होता है. तो आइए चलिए जानते हैं इन विशेष कार्यों के बारे में-


राधा स्तोत्र का करें पाठ (radha strota path)
कहते हैं कि राधा अष्टमी से अगले 16 दिन तक राधा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. अगर आप ये नहीं पाते तो राधा सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ कीजिए. कहा जाता है कि ये पाठ का जप करने से आपके ऊपर कान्हा जी की कृपा बनती है. साथ ही मां लक्ष्मी भी प्रसन्न हो कर घर में खुशियां भर देती है.


सुरैया पर्व से होगी आनंद की प्राप्ति (sureya parv)
धार्मिक दृष्टि से राधा अष्टमी से ही सुरैया पर्व का आरंभ होता है. ये जीवन को सुर में लाने का पर्व है. कहते हैं कि इसमें 16 दिन तक देवी लक्ष्मी के स्तोत्र का पाठ करना फायदेमंद रहता है. इससे धन वैभव की प्राप्ति होती है. इतना ही नहीं, ये पर्व 16 दिन तक मनाया जाता है और इन 16 दिनों में पड़ने वाले शुक्रवार को मां लक्ष्मी को केसर की खीर का भोग लगाने से घर में आनंद की प्राप्ति होती है. साथ ही परिवार में खुशियां बढ़ती हैं. 


श्री कृष्ण और राधा की करें पूजा (puja of shri krishna and radha ji together)
राधा अष्टमी से अगले 16 दिन तक राधा और श्री कृष्ण की युगल मूर्ति की पूजा करनी चाहिए. इस दौरान राधा को सुहाग की सामग्री भेंट में दे और साथ ही राधा कृष्ण नाम का यथसंभव जप करें. अगर  संभव हो तो ये 16 दिन गाय को हरा चारा जरूर खिलाएं. ऐशा करने से घर में बरकत होगी और धन की कमी नहीं होगी. 


कुबरे की पूजा करें (kuber puja)
सुरैया पर्व को यक्ष और यक्षिणी साधना का पर्व भी कहा जाता है. भगवान कुबेर को यक्षराज कहा जाता है. कुबेर को धन का स्वामी भी माना जाता है. सुरैया पर्व के दौरान यक्षराज यानि कुबेर की पूजा करें. राधाष्टमी के दिन कुबरे यंत्र और श्री यंत्र की स्थापना करके नियमित पूजा करने से लाभ होता है. 


 
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