कृष्ण जन्माष्टमी के पंद्रह दिन बाद राधाअष्टमी का त्योहार मनाया जाता है. राधा रानी का जन्मोत्सव भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. राधा अष्टमी का त्योहार इस बार 26 अगस्त को मनाया जाएगा.
भगवान श्रीकृष्ण का नाम जब भी लिया जाता है तो ऐसा कभी नहीं होता कि राधा जी का नाम ना लिया जाए. श्रीकृष्ण को आम भक्त राधे-कृष्ण कहकर ही पुकारते हैं. ये दो नाम एक दूसरे से हमेशा के लिए जुड़ गए हैं.
राधा रानी के बिना कृष्ण जी की पूजा अधूरी मानी गई है. धार्मिक मान्यता है कि राधाष्टमी के व्रत के बिना कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत का पूरा पुण्य प्राप्त नहीं मिलता है. राधाअष्टमी के दिन राधा और कृष्ण दोनों की पूजा की जाती है.
मंगलवार 25 अगस्त को दोपहर 12:21 PM से अष्टमी तिथि आरंभ होगी, जो 26 अगस्त बुधवार को सुबह 10:39 AM बजे तक जारी. राधाष्टमी का व्रत 26 अगस्त के दिन रखा जाएगा.
पूजा की विधि
- सूर्योदय से पहले उठें, स्नान करें और नए वस्त्र धारण करें.
- एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उस श्री कृष्ण और राधा जी की प्रतिमा स्थापित करें. साथ ही कलश भी स्थापित करें.
- पंचामृत से स्नान कराएं, सुंदर वस्त्र पहनाकर का दोनों का श्रंगार करें. कलश पूजन के साथ राधा कृष्ण की पूजा भी करें. उन्हें फल-फूल और मिष्ठान अर्पित करें.
- राधा कृष्ण के मंत्रो का जाप करें, कथा सुने, राधा कृष्ण की आरती अवश्य गाएं.
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