आज राधाष्टमी (Radha Ashtami) मनाई जा रही है. राधा रानी का जन्मोत्सव भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. भगवान श्रीकृष्ण का नाम जब भी लिया जाता है तो ऐसा कभी नहीं होता कि राधा जी का नाम ना लिया जाए. श्रीकृष्ण को आम भक्त राधे-कृष्ण कहकर ही पुकारते हैं. ये दो नाम एक दूसरे से हमेशा के लिए जुड़ गए हैं.
राधा रानी के बिना कृष्ण जी की पूजा अधूरी मानी गई है. धार्मिक मान्यता है कि राधाष्टमी के व्रत के बिना कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत का पूरा पुण्य प्राप्त नहीं मिलता है. राधाअष्टमी के दिन राधा और कृष्ण दोनों की पूजा की जाती है.
श्री राधा जी के 32 नामों का स्मरण करने से जीवन में सुख, प्रेम और शांति का वरदान मिलता है. धन और संपंत्ति तो आती जाती है जीवन में सबसे जरूरी है प्रेम और शांति.. श्री राधा जी के यह नाम जीवन को बनाते हैं शांत और सुखमयी...
- मृदुल भाषिणी राधा ! राधा !!
- सौंदर्य राषिणी राधा ! राधा !!
- परम् पुनीता राधा ! राधा !!
- नित्य नवनीता राधा ! राधा !!
- रास विलासिनी राधा ! राधा !!
- दिव्य सुवासिनी राधा ! राधा !!
- नवल किशोरी राधा ! राधा !!
- अति ही भोरी राधा ! राधा !!
- कंचनवर्णी राधा ! राधा !!
- नित्य सुखकरणी राधा ! राधा !!
- सुभग भामिनी राधा ! राधा !!
- जगत स्वामिनी राधा ! राधा !!
- कृष्ण आनन्दिनी राधा ! राधा !!
- आनंद कन्दिनी राधा ! राधा !!
- प्रेम मूर्ति राधा ! राधा !!
- रस आपूर्ति राधा ! राधा !!
- नवल ब्रजेश्वरी राधा ! राधा !!
- नित्य रासेश्वरी राधा ! राधा !!
- कोमल अंगिनी राधा ! राधा !!
- कृष्ण संगिनी राधा ! राधा !!
- कृपा वर्षिणी राधा ! राधा !!
- परम् हर्षिणी राधा ! राधा !!
- सिंधु स्वरूपा राधा ! राधा !!
- परम् अनूपा राधा ! राधा !!
- परम् हितकारी राधा ! राधा !!
- कृष्ण सुखकारी राधा ! राधा !!
- निकुंज स्वामिनी राधा ! राधा !!
- नवल भामिनी राधा ! राधा !!
- रास रासेश्वरी राधा ! राधा !!
- स्वयं परमेश्वरी राधा ! राधा !!
- सकल गुणीता राधा ! राधा !!
- रसिकिनी पुनीता राधा ! राधा !!
मान्यता है कि श्रद्धापूर्वक राधा जी के नाम का आश्रय लेता है वह प्रभु की गोद मै बैठ कर उनका स्नेह पाता है.