जीवन रेखा से जीवन में सुख और संकटों का आंकलन किया जाता है. अंगूठे के निचले भाग को अर्ध वृत्ताकार घेरकर आगे बढ़ती हाथ की सबसे लंबी रेखा को जीवन रेखा कहा जाता है. इस रेखा को जो रेखाएं काटती हैं वे राहू रेखाएं कहलाती हैं. राहू रेखाओं की संख्या जितनी अधिक होती है उतनी ज्यादा बार व्यक्ति को संकटों और परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
जीवन रेखा अंगूठे और अंगूठे सटी अंगुली के मध्य से शुरू होकर नीचे की ओर घेरा बनाकर जाती है. संपूर्ण जीवन रेखा पूरे शुक्र क्षेत्र को घेरती है. इस प्रकार जीवन रेखा उूपर की ओर से हथेल की नीचे की बढ़ती है. इस रेखा को जितने उूपर राहू रेखा काटती है. उससे संबंधिक परेशानी उतना जल्दी आती है. जीवन रेखा को मध्य में राहू रेखा काटे तो व्यक्ति के जीवन में परेशानी भरा समय 45 से 55 वर्ष के बीच आ आता है.
राहू रेखा भाग्य रेखा को भी काट दे. व्यक्ति को धन हानि की आशंका भी रहती है. राहू रेखा भाग्य रेखा को काटते हुए मस्तिष्क और हृदय रेखा को भी काटे तो व्यक्ति को गहरा मानसिक आघात लगता है. राहू रेखा से बचने के उपायों में आज्ञाकारिता और अनुशासन माना जाता है. व्यक्ति जितना अधिक नियमबद्ध रहेगा उस पर राहू रेखा का उतना ही कम प्रभाव होगा. इसके अतिरिक्त बहते जल में जौ बहाने से राहू शांत होता है. राहू के बीज मंत्र एवं तांत्रिक मंत्र के जाप से राहू के दोष दूर होते हैं.