Raksha Bandhan 2023: 30 अगस्त को रक्षाबंधन पर बनेंगे कई शुभ योग, लेकिन भद्रा की वजह से सिर्फ एक मुहूर्त
Raksha Bandhan 2023: बुधवार, 30 अगस्त 2023 को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन आयुष्यमान, बुधादित्य, वासी और सुनफा योग रहेगा. लेकिन भद्राकाल के कारण केवल एक ही मुहूर्त में राखी बांधा जा सकेगा.
Raksha Bandhan 2023: रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्यार की निशानी है. इस दिन भाई अपनी बहन को हर मुश्किल घड़ी में उसकी रक्षा करने का वचन देता है और बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उसकी लम्बी आयु की कामना करती है. भाई-बहन के विश्वास को बनाए रखने वाला रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है.
क्या सिर्फ भाई को ही बाधा जाता है रक्षासूत्र
जो आपकी रक्षा करें, सुरक्षित रखें उसके प्रति आभार दर्शाने के लिए आप उसे रक्षासूत्र बांध सकते हैं. भगवान् श्रीकृष्ण ने युधिष्ठर से कहा था कि, रक्षाबंधन का त्योहार अपनी सेना के साथ मनाओ, इससे पांडवों और उनकी सेना की रक्षा होगी. रक्षासूत्र में अद्भुत शक्ति होती है. वैसे तो खासकर रक्षाबंधन पर राखी बहन अपने भाई को ही बांधती है. लेकिन ब्राह्मण, गुरु, वृक्षों और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित संबंधियों जैसे पुत्री द्वारा पिता को भी बांधी जाती है.
रक्षाबंधन पर कई शुभ योग
इस साल 2023 में ‘रक्षाबंधन पर्व‘ बुधवार, 30 अगस्त सावन मास की पूर्णिमा को है. पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को सुबह 10 बजकर 49 मिनट से अगले दिन 31 अगस्त 2023 को सुबह 7 बजकर 6 मिनट तक रहेगी. साथ ही रक्षाबंधन के दिन आयुष्यमान योग, बुधादित्य योग, वासी योग और सुनफा योग भी रहेगा. लेकिन इसी दिन सुबह 10 बजकर 59 मिनट से रात 9 बजकर 02 मिनट तक भद्रा भी रहेगी. वहीं सुबह 10 बजकर 19 मिनट से पंचक भी शुरू हो रहा है.
भद्राकाल में राखी बांधना शुभ नहीं माना गया है. ऐसे में रक्षाबंधन के लिए बुधवार 30 अगस्त को भद्राकाल समाप्त होने के बाद रात 9 बजकर 2 मिनट से 11 बजकर 13 मिनट तक शुभ मुहूर्त में राखी बांधना शुभ रहेगा. इस दिन सबसे पहले गणेशजी को राखी अर्पित करें. ऐसा करने से अशुभ योगों का असर खत्म हो जाता है. इस पर्व पर भाई-बहन दूर हैं तो बहन अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करते हुए भगवान गणेश या श्रीकृष्ण की मूर्ति को राखी बांध सकती हैं.
रक्षाबंधन पर कैसे करें पूजा
इस दिन सावन पूर्णिमा की पूजा जाती है. लेकिन रक्षाबंधन के लिए किसी भी विशेष पूजा की जरूरत नहीं होती है. इसमें बहन और भाई के भाव ही सबसे ज्यादा मायने रखते हैं. भाई को राखी बांधने से पहले थाली में रोली, चंदन अक्षत, एक घी का दीपक, नारियल, रक्षासूत्र और मिठाई रखे. रक्षा सूत्र और पूजा की थाल सबसे पहले भगवान, अपने ईष्टदेव, कुलदेव और पितरों को अर्पित करें. इसके बाद भाई को तिलक लगाएं फिर उसका मुंह मीठा कराएं. इसके बाद दाहिनी कलाई में रक्षासूत्र बांधते हुए, येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचलः मंत्र बोलें फिर आरती उतारें. एक-दूसरे की उन्नति, सुख-समृद्धि के प्रति भगवान से प्रार्थना करें.
रक्षाबंधन के करें ये 5 काम भाई को बनाएंगे लक्ष्मीवान
- बहने अपने भाई को खाली हाथ राखी बांधती है जोकि गलत है. ऐसी परंपरा है की राखी बांधते समय भाई का हाथ भरा हुआ हो. इसलिए बहने अपने भाई के हाथ में नारियल रखती हैं, भाई नारियल पकड़ता है और बहन राखी बांधती है. हाथ भरा होने के पीछे यह कामना रहती है कि भाई के हाथ में सदैव लक्ष्मी बनी रहे. इसी कारण उसके हाथ में ‘श्रीफल’ यानि नारियल रखा जाता है, जिससे महालक्ष्मी का आशीर्वाद पूर्णतः बना रहेगा.
- नारियल नहीं है तो भाई अपने हाथ में कुछ रुपये हाथ में रखकर भी राखी बंधवा सकते हैं. लेकिन इसके अलावा कुछ नहीं रखना चाहिए. एक ही श्रीफल से पूरे परिवार के लोग राखी बंधवा सकते हैं.
- राखी बांधते हुए 3 गांठ बांधे. इसमें पहली गांठ भाई की लंबी उम्र और सेहत के लिए, दूसरी गांठ सुख समृद्धि के लिए और तीसरा रिश्ते को मजबूत करने की कामना से ब्रह्मा, विष्णु, महेश का ध्यान करके बांधे.
- इस दिन काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होती है.
- राखी बांधते वक्त भाई का मुख पूर्व दिशा की ओर और बहन का मुख पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए.
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