Rakshabandhan: भाई-बहन के प्यारे के रिश्ते को कई अलग-अलग शब्द और एहसासों से समझा जा सकता है. बहन की आंखों में आंसू देखकर भाई मदद को कोसों दूर से खिंचे चले आते हैं तो बहनें भाई की बलाइयां लेती नहीं थकतीं. इस क्रम में देवों की बात करें तो पहले बात भोले भंडारी भगवान शिव की. शिव यूं तो अजन्मे हैं, लेकिन उनकी भी एक बहन हैं, जिनका नाम असावरी देवी है. तपस्यालीन शिवजी ने मां पार्वती के अकेलेपन और ननद की इच्छा पूरी करने के लिए भोलेनाथ ने माया से बहन उत्पन्न की थी.
इसके अलावा विष्णु जी की बहन खुद देवी पार्वती थीं. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक जब पार्वती को बोध हुआ कि उनका जन्म महादेव के लिए हुआ है तो उन्होंने मनचाहे वर के लिए तप किया. महादेव की परीक्षा के चलते पार्वती विचलित होकर शिवलिंग नहीं बना पा रही थीं. तब विष्णु भगवान ने माता पार्वती की मदद की थी. माता पार्वती ने विष्णु जी को भाई कह कर संबोधित किया था. पार्वती की शादी में भी विष्णु जी ने भाई की भूमिका निभाई, जबकि ब्रह्माजी खुद पुरोहित की भूमिका में मौजूद थे.
वहीं विष्णु अवतार राम के तीन भाइयों के अलावा बहन भी थीं. बड़ी बहन का नाम था शांता, जिनका पालन पोषण वर्षिणी और उनके पति रोमपद ने किया था. शांता का विवाह श्रृंग ऋषि के साथ हुआ था. वहीं ब्रह्माजी की मानसपुत्री हैं षष्ठी देवी या छठ मैय्या सूर्यदेव की बहन हैं. इन्हें कात्यायनी नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक मान्यता है कि सूर्यदेव की उपासना से उनकी बहन छठ मैय्या प्रसन्न होती हैं और घर में धन, धान्य समवृद्धि लाती हैं. यह निसंतानों को संतान भी देती हैं.
शनिदेव की दो बहनें
हिंदू मान्यताओं के अनुसार शनिदेव की दो बहनें और एक भाई हैं. उनका नाम यमुना और भद्रा है. शनिदेव के भाई का नाम यमराज है. यमुना को पतित पावनी माना जाता है जबकि भद्रा स्वभाव से क्रोधी हैं.
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