Ram Aayenge: हिंदू धर्म में रामायण और रामचरितमानस को श्रेष्ठ और पवित्र ग्रंथ की मान्यता प्राप्त है. महर्षिवाल्मीकि ने रामायण और गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रामचरितमानस की रचना गई है. रामचरितमानस में जहां रामजी के राज्यभिषेक तक का वर्णन मिलता है, तो वहीं रामायण में श्रीराम के महाप्रयाण (परलोक गमन) तक का वर्णन किया गया है.


राम आएंगे के दूसरे भाग में हमने जाना कि, पुत्र प्राप्ति की खुशी में अवध के राजा और रामलला के पिता दशरथ की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. रामलला के जन्म से न केवल अवध बल्कि 14 भुवन और संपूर्ण ब्रह्मांड भी मंगलगान से गूंज उठा. अब राम आएंगे के तीसरे भाग में जानेंगे कि , रामलला के जन्म के बाद राजा दशरथ ने प्रसन्नता से नेग देना चाहा तो क्यों सभी ने रामलला के जन्म का नेग या भेंट को लेने से इंकार कर दिया.


रामलला के जन्म से राजा दशरथ की प्रसन्नता का ठिकाना नहीं था. उनकी प्रसन्नता उस समय ऐसी थी, जैसे मानो रामलला के जन्म की किलकारी सुन उनके जन्म-जन्मांतर की इच्छा पूरी हो गई हो और बंजर भूमि को किसी ने वर्षा से सींचा हो. इसी खुशी की कृतज्ञता भाव से राजा दशरथ ने गुरु श्रेष्ठ, प्रजानन, सेवन-सेविकाएं, नाऊ और दाई आदि को हर्षित मन से कई तरह के रत्न, आभूषण, अलंकार, धन आदि देने का निश्चिय कर लिया था.





जब संकट में आ गई रघुकुल की परंपरा


रघुकुल की परंपरा रही है कि ‘प्राण जाय पर वचन न जाए’. ऐसे में जब राजा दशरथ द्वारा भेंट में दी जाने वाली चीजें निकाली गई तो सभी ने इसे लेने से इंकार कर दिया. अब राजा के सामने बड़ी समस्या आ गई क्या किया. दरअसल जनमानस को रामलला के जन्म की भेंट नहीं बल्कि उनके दर्शन मात्र की अभिलाषा थी. इसलिए कोई भी रामलला के जन्म का भेंट नहीं लेना चाहता था, क्योंकि उन्हें तो अपने इष्ट के दर्शन की लालसा थी.




अब संकट यह हुआ की निकाली गई भेंट का क्या किया जाए, सभी के मना करने के बाद इसे कौन लेना. कहा जाता है कि ऐसी दुविधा की घड़ी में किन्नरों ने राजा दशरथ के वचनों का मान रखा था. उस समय किन्नरों ने प्रभु श्रीराम के जन्म की बधाई गीत गाकर राजा के भेंट को सहर्ष स्वीकार किए थे. 'जुग जुग जियसु ललनवा, भवनवा के भाग जागल हो', 'प्रकटे हैं चारो भैया-अवध में बाजे बधइया' जैसे गीत गाकर उल्लासित मन से उन्होंने न सिर्फ निकाली गई भेंट को स्वीकार किया था बल्कि नवपल्लवित पुष्प को सकल ब्रह्मांड के 'आदित्य' होने का वरदान भी दिया था.




(अगले भाग में जानेंगे रामलला के जन्म के बाद त्रेतायुग में कैसे सजी थी अवधपुरी)


ये भी पढ़ें: Ram Aayenge: रामलला के जन्म के बाद मंगलगान से गूंज उठी थी अवधपुरी, रामचरितमानस में है सुंदर वर्णन












Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.