Ram Kewat Samwad: नदी पार कराने के लिए जब केवट ने भगवान राम के सामने रख दी थी ये शर्त
Ram Kewat Samwad: प्रभु श्री राम और उनके परम भक्त केवट के साथ उनका पूरा संवाद यहां पढ़ें. किन शर्तों पर प्रभु श्री राम को केवट ने पार कराई गंगा नदी.
![Ram Kewat Samwad: नदी पार कराने के लिए जब केवट ने भगवान राम के सामने रख दी थी ये शर्त Ram Kewat Sanwad this condition with Lord Ram Sita to cross Ayodhya Saryu river read story Ram Kewat Samwad: नदी पार कराने के लिए जब केवट ने भगवान राम के सामने रख दी थी ये शर्त](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/01/19/b2433f9cb61e7127dc5132f66b7ffe901705664138111660_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Ram Kewat Samwad: प्रभु श्री राम से जुड़ी बहुत ही प्रसंग आपने सुनी होंगी लेकिन आज हम वर्णन करेंगे प्रभु श्री राम और केवट के संवाद का जो उनके बीच वनवास के दौरान हुआ. वनवास पर जाने के बाद प्रभु श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी को गंगा नदी पार करनी थी. उस समय उनकी मुलाकात केवट से हुई. नदी को पार करने के लिए उन्हें केवल की शर्त माननी पड़ी, शर्त के पूरा होने पर केवट प्रभु श्री राम को नदी पार करवाई.
क्या थी केवट की शर्त?
प्रभु श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी के वनवास के दौरान उन्हें सरयू नदी पार करनी थी. सरयू नदी के तट पर प्रभु श्री राम की मुलाकात केवट से हुई. श्री राम ने केवट से नाव मांगी. लेकिन केवट ने शर्त रखी कि नाव में चढ़ने से पहले राम जी की चरण धोने दें. प्रभु श्री राम ने केवट की शर्त मान ली, और उन्हें चरण धोने दिए. इस बात को सुनने के बाद केवट की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और पैर धोने के लिए एक थाल लाया और प्रभु श्री राम के पैर धोए.
अर्थ-श्री राम ने केवट से नाव माँगी, पर वह लाता नहीं, वह कहने लगा- मैंने तुम्हारा मर्म (भेद) जान लिया. तुम्हारे चरण कमलों की धूल के लिए सब लोग कहते हैं कि वह मनुष्य बना देने वाली कोई जड़ी है.
पैर धोते समय जब दूसरा पैर मिट्टी में लिपट जाता तो केवट दुखी हो गया तब श्री राम एक पैर पर खड़े हो गए, केवट प्रभु को एक पैर पर देखकर दुखी हो गया और उनसे सिर का सहारा लेने को कहा. केवट की ये बात सुनकर भगवान राम ने केवट के सिर पर हाथ रखा तो आसमान से पुष्प की वर्षा होने लगी. प्रभु के चरणों के अमृत का पान केवट और उसके परिजनों ने किया और श्री राम को पार ले गया.
अर्थ-चरणों को धोकर और सारे परिवार सहित स्वयं उस जल (चरणोदक) को पीकर पहले (उस महान पुण्य के द्वारा) अपने पितरों को भवसागर से पार कर फिर आनंदपूर्वक प्रभु श्री रामचन्द्रजी को गंगाजी के पार ले गया.
जब प्रभु श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी केवट की नाव से उतरे तो प्रभु श्री राम के पास केवट को देने के लिए कुछ नहीं था तो माता सीता ने अपनी अंगूठी केवट को उतारकर दी.
भगवान राम को गंगा पार कराने वाले केवट पूर्वजन्म में कछुआ थे. ऐसी मान्याता है कि जब धरती जलमग्न थी, तब केवट का जन्म एक कछुए के रूप में हुआ था. केवट ने कछुए के रूप में कई वर्षों तक तप किया. भगवान ने उनके तप को देखते हुए उन्हें केवट का अवतार दिया.
यह भी पढ़ें- Ram Aayenge: ठुमुकु ठुमुकु प्रभु चलहिं पराई...जानिए रामलला की बाल लीलाएं
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)