भगवान राम दुनियाभर में करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र हैं और सभी भक्त नियमित तौर पर उनकी पूजा करते हैं. भगवान राम के प्रति आस्था ही कारण है कि भारतीय समाज में श्री राम का नाम अभिवादन के लिए (राम-राम) भी प्रयोग होता है. ऐसे में राम भक्तों को अपने प्रिय भगवान से जुड़े हर पहलू की जानकारी होती है. हालांकि, भगवान विष्णु के अवतार श्री राम ने किस प्रकार अपनी समाधि ली, इसको लेकर सबको ज्ञान नहीं है.


दरअसल, 14 वर्षों के वनवास और फिर लंका में रावण के वध के बाद भगवान राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस लौटे थे. इसके बाद कई साल तक उन्होंने अयोध्या में शासन किया और अपने राज्य को ऊंचाईयों पर पहुंचाया. इस बीच माता सीता के धरती में समाने के कुछ साल बाद भगवान राम ने भी जल समाधि लेकर जीवन समाप्त कर लिया था. श्री राम की जल समाधि को लेकर रामायण में विशेष विवरण है.


यमराज ने की थी श्री राम से भेंट


मान्यता है कि विधि का विधान और जीवन चक्र को पूरा करने के लिए यमराज ने श्री राम से मुलाकात की थी. वह जानते थे कि भगवान राम जब तक अपनी इच्छा से शरीर त्यागने का फैसला नहीं करेंगे, तब तक ऐसा संभव ही नहीं है. इसके लिए यमराज ने एक युक्ति निकाली.


अयोध्या में श्री राम और यमराज के बीच बैठक हुई. इस दौरान यमराज के कहने पर भगवान राम ने अपने कक्ष में किसी के भी प्रवेश को वर्जित कर दिया था और कहा था कि जो इसका उल्लंघन करेगा, उसे मृत्युदंड दिया जाएगा. उन्होंने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को यह सुनिश्चित करने का दायित्व दिया.


प्राण जाए पर, वचन न जाए


रामायण के अनुसार, इस दौरान दुर्वासा ऋषि अयोध्या पहुंच गए और श्री राम से मिलने की इच्छा जताई, लेकिन बड़े भाई के आदेश से बंधे लक्ष्मण ने उन्हें मना कर दिया और बताया कि यही महाराज का आदेश है. इससे ऋषि क्रोधित हो गए और अयोध्या को नष्ट करने का श्राप देने की चेतावनी दी.


इस चेतावनी से घबराए लक्ष्मण बैठक के बीच में पहुंच गए. ये देखकर प्रभु राम हैरान थे, लेकिन अब वह अपने वचन से बाध्य थे. वहीं लक्ष्मण को भी बड़े भाई के वचन का ज्ञान था और इसलिए उन्होंने उनके वचन की लाज रखने की खातिर सरयू नदी में जल समाधि ले ली.


पद्म पुराण के अनुसार, लक्ष्मण के जाने के बाद राम भी बहुत उदास थे और अंततः उन्होंने स्वेच्छा से शरीर त्यागने का निर्णय लिया. अश्विन पूर्णिमा के भगवान राम ने ब्रह्म मुहुर्त में सरयू नदी में जल समाधि ले ली.


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