Ram Navami 2023: राम नवमी पर करें रामचरितमानस के इन 5 शक्तिशाली श्लोक का पाठ, श्रीराम की बरसेगी कृपा
Ram Navami 2023: राम नवमी 30 मार्च 2023 को है. इस दिन जिस घर में रामचरितमानस का पाठ होता है वहां प्रभू राम और हनुमान जी कृपा बरसाते हैं. राम नवमी पर रामचरितमानस के इन चौपाईयों का पाठ करें.
Ram Navami 2023 Date: राम नवमी 30 मार्च 2023 को है. इस दिन रामायण का पाठ करना शुभ होता है, लेकिन समय का अभाव है तो रामचरितमानस के 5 शक्तिशाली श्लोक का पाठ करें, मान्यता है इससे हर कार्य सफल होते हैं और प्रभू श्रीराम की कृपा बरसती है.
रामचरितमानस की 5 अद्भुत चौपाई (Ramcharitmanas Chaupai)
नाथ दैव कर कवन भरोसा। सोषिअ सिंधु करिअ मन रोसा॥ कादर मन कहुँ एक अधारा। दैव दैव आलसी पुकारा।।
अर्थ - रामचरित मानस में यह चौपाई बताती है कि श्रीराम बहुत शक्तिशाली थे लेकिन फिर भी वह कार्य संयम के साथ करते थे, जिससे उस कार्य में कोई विघ्न न आए. इस चौपाई में बताया गया है कि जब भगवान राम सागर पार करने के लिए समुद्र से रास्ता मांगने के लिए ध्यान करने जा रहे थे, लक्ष्मणजी ने श्रीराम को उनकी शक्ति का एहसास कराया, प्रभू राम को सब ज्ञात था लेकिन फिर भी उन्होंने शक्ति से पहले शांति से हालातों से निपटने का प्रयास किया. ये चौपाई बताती है कि इंसान तन, धन से कितना ही बलशाली क्यों न हो, बुद्धि के बिना सफलता पाना असंभव है.
जे न मित्र दुख होहिं दुखारी। तिन्हहि बिलोकत पातक भारी॥ निज दुख गिरि सम रज करि जाना। मित्रक दुख रज मेरु समाना॥
अर्थ - ये चौपाई श्रीराम और सुग्रीव की सच्ची मित्रता को दर्शाती है. इसका तात्पर्य है कि निस्वार्थ भाव से दोस्ती निभाने वाले की भगवान हमेशा मदद करते हैं. वहीं जो लोग मित्र या दुखियों के दुख में भी दुखी नहीं होते वह जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ सकते. ऐसे लोग पाप के भागी होते हैं. मित्र भले ही एक हो लेकिन सच्चा हो तो जीवन संवर जाता है, श्रीराम स्वंय उनकी रक्षा करते हैं जो मित्रता में लेश मात्र का स्वार्थ नहीं लाते.
अपि च स्वर्णमयी लंका, लक्ष्मण मे न रोचते। जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।
अर्थ - इस चौपाई में श्रीराम भाई लक्ष्मण से कहते हैं कि भले ही लंका सोने से गढ़ी है लेकिन यहां अशांति है. मेरे लिए तो मां और जन्मभूमि स्वर्ग से भी अधिक मूल्यवान है. इससे ये सीख मिलती है कि जो व्यक्ति अपनी धरती और जन्मभूमि से जुड़ा होता है और वहां के लोगों की भलाई के लिए कार्यरत रहता है वह हमेशा आगे रहता है. ऐसे लोग सर्वश्रेष्ठ कहलाते हैं.
बोले बिहसि महेस तब ग्यानी मूढ़ न कोइ। जेहि जस रघुपति करहिं जब सो तस तेहि छन होइ।
अर्थ - ईश्वर की मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता. ये चौपाई बताती है कि व्यक्ति को इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि वह हमेशा धनवान या कंगाल रहेगा. श्री राम की पूजा करने वाले का भाग्य बदलने में देर नहीं लगती. ऐसे में कभी अहंकार न करें, अहंकार की आग व्यक्ति का सुख-चैन सब कुछ जलाकर राख कर देती है. जो प्राप्त है उसका सदैव धन्यवाद करें, ईश्वर की भक्ति ही सफलता का मार्ग है.
मोह सकल ब्याधिन्ह कर मूला। तिन्ह ते पुनि उपजहिं बहु सूला॥ काम बात कफ लोभ अपारा। क्रोध पित्त नित छाती जारा॥
अर्थ - सारी तकलीफों की जड़ है मोह. किसी भी चीज का अधिक लगाव हमें लक्ष्य से भटकाता है और असफलता की ओर ले जाता है. काम, क्रोध, लोभ, का त्याग करने में ही भलाई है. इनके रहते कामयाबी की राह पूरी करना नामुमकिन है.
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