Ram Navami 2024: रामनवमी पर निकलते हैं खूब झांकी और जुलूस, शास्त्रों के अनुसार जानिए कैसी हो शोभा यात्रा
Ram Navami 2024: रामनवमी के दिन शहर-शहर भव्य शोभा यात्रा, झांकी और जुलूस निकलते हैं और पूरा माहौल राममय हो जाता है. आइये जानते हैं शास्त्रों के अनुसार कैसी होनी चाहिए रामनवमी की शोभा यात्रा ?
Ram Navami 2024: जैसा कि हम हर वर्ष रामनवमी पर हर जगह शोभा यात्रा देखते हैं. लेकिन क्या यह शस्त्रों में वर्णित हैं? इसका उत्तर अपको आनंद रामायण (मनोहर कांड सर्ग क्रमांक 10, श्लोक संख्या 105–139) में मिलता है.
शास्त्रों के अनुसार जानिए कैसी हो रामनवमी की शोभा यात्रा
इसके अनुसार, संवत्सर की प्रतिपदा को मकान के ऊपर दिव्य वस्त्र और माला आदि से अलंकृत ध्वजाएं राम जन्म की सूचक तथा राम को प्रसन्न करने के लिए घर-घर स्थापित करके भक्तिपूर्वक उनका पूजन करना चाहिए. घर में, देवालय में, गोशाला में तथा तुलसी की बगीची में इस दिन चन्दन के जल का छिड़काव करना चाहिए. इसके बाद पत्थर के चूर्ण से कमल आदि बनाने चाहिएं. अतिशय सुन्दर चित्र मण्डप बनाए. उस मण्डप में चार द्वार बनाएं और स्थान-स्थानपर तोरण की स्थापना करें.
जहां- तहां केले के खम्भे तया इक्षुदण्ड खड़े करें. उनमें तरह-तरह के घण्टे और किकिणी आदि लगा दें, जिनकी मधुर ध्वनि सुनाई पड़ती रहे. जहां-तहां सुन्दर और बड़े-बड़े शीशे लगा दें, विविध प्रकार के चित्र लगाएं. उसमें सुवर्णमय अथवा रत्नमण्डित मंच की रचना करें और उसपर अच्छे-अच्छे मनोरम शय्या बिछाएं. फिर उसपर कांचनमयी प्रतिमा स्थापित करें. रामचन्द्रजी की यह प्रतिमा सब सुलक्षणों से लक्षित होनी चाहिए.
जैसी अपनी सामर्थ्य हो, उसके अनुसार प्रतिदिन पूजन करें. उनके सामने भेरी, मृदंग, तुड़ही अदि बाजे बजाए और नाचे-गाएं. नाना प्रकार के नैवेद्यों और उपचारों से पूजन करें. इस विधि से नवरात्र में विशेषकर नवमी तिथि को वाहन पर आरूढ़ राम का पूजन करके भेरी, मृदंग, तुड़ही, दुन्दुभी आदि के गम्भीर नाद, गणिकाओं के नृत्य, गायकों के गायन आदि नाना प्रकार के उत्साहों से मंडित, सुन्दर छत्र से सुशोभित, चमर से अलंकृत, पुष्पक विमानपर आरूढ़ रामचन्द्रजी को रामतीर्थ पर ले जाकर पंचामृत के घड़ों तथा पवित्र जलो से स्नान काराएं. स्नान कराते समय रुद्र–सूक्त, विष्णुसू–क्त अथवा सहस्रनामावली का पाठ करें.
पहले ही जल में विविध प्रकार के मंगलमय द्रव्य मिला लें. इस तरह मंगलद्रव्य मिले जल से स्नान कराने को मङ्गलस्नान कहते हैं. यह चैत्रमास में किया जाता है और बड़ी कठिनाई से ऐसा सुयोग प्राप्त होता है. उस स्नान के पंचामृत को किसी तोर्थ में डाल दे और पूजा में जितने लोग सम्मिलित हुए हों, वे सब उस तीर्थ में जाकर स्नान करें (रामनवी की शोभा यात्रा). तभी प्राणी को मंगलस्नान का फल प्राप्त होता है. पुष्कर आदि तीर्थों तथा गंगा आदि नदियों में स्नान करने से जो फछ मिलता है, वही फल मंगल स्नान करने वाले को प्राप्त होता है.
इस तरह सीता समेत राम को स्नान कराकर उनकी पूजा करें और पूर्वोक्त बाजे-गाजे के साथ फिर उन्हें अपने घर ले आए (रामनवमी शोभा यात्रा) घर पर राम को लाकर उनकी पूजा करें. नाना प्रकार के उत्सव मनाता हुआ दिन बिताएं और रातभर जागरण करें. इस तरह से तीर्थ यात्रा से वापस लौटने पर शोभा यात्रा निकाली जाती है.
ये भी पढ़ें: Vedas: आदि मानव से महामानव बनाने में सहायक है हिंदू धर्म के वेद, जानिए चारों वेदों के बारे में
नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.