Ram Lalla Surya Abhishek Highlight: सूर्य ने रामलला का किया अभिषेक, किरण भक्तों के दिल में जग गई
Ram Lalla Surya Abhishek Highlight: चैत्र शुक्ल की नवमी (Ram Navami 2024) का दिन राम भक्तों के लिए यादगार बन गया. सूर्य ने रामलला के माथे पर तिलक किया तो भक्तगण भाव विभोर हो गए.
भगवान श्रीराम मानव रूप में पूजे जाते हैं. भगवान राम का जन्म इक्ष्वाकु वंश में हुआ था, जिसकी स्थापना सूर्य के पुत्र राजा इक्ष्वाक ने की थी, इसलिए भगवान राम को सूर्यवंशी कहा जाता है.
भगवान राम का चरित्र प्रेरणा प्रदान करने वाला है, जो उनके चरित्र से प्रेरणा लेता है उसका जीवन धन्य हो जाता है. जीवन में अपार सफलता प्राप्त करता है.
रामभक्तों के लिए आज का दिन यादगार बन गया. जैसे ही राम नवमी (Ram Navami 2024) के पर्व पर अयोध्या के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला (Ram Lalla) का पहला सूर्य तिलक (Surya Tilak) हुआ, भक्तगण भाव विभोर हो गए. समय अनुसार आज दोपहर 12 बजकर 01 मिनट पर वैज्ञानिकों के द्वारा बनाई तकनीक से रामलला के मस्तक पर सूर्य तिलक (Surya Abhishek) कराया गया.
अयोध्या में राम मंदिर के तीसरी मंजिल से लेकर रामलला की मूर्ति तक अष्टधातु के कई पाइप लगाए गए थे.गर्म किरणें रामलला के मस्तक पर न पड़ें इसलिए फिल्टर का इस्तेमाल किया गया था. आप्टो मैकेनिकल सिस्टम से सूर्य की किरणें रामलला की मूर्ति तक पहुंची.
रामलला को पीले रंग के वस्त्रों के अलावा सोने चांदी के सुंदर आभूषण पहनाएं गए हैं. रामनवमी के मौके पर श्रीराम को विशेष मुकुट, कुंडल, बाजू बंद, कमरबंद, गले का हाल पैजनिया पहनाई गई है. रामलला का ये भव्य रूप देखते ही बन रहा है.
अयोध्या में राम लला का सूर्य तिलक हो गया है. करीब 4 मिनट तक रामलला की मूर्ति के मस्तक पर सूर्य की किरणें नजर आई. श्रीराम की भव्य तस्वीर देख भक्तगण भाव विभोर उठे
श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥
कन्दर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि
नोमि जनक सुतावरं ॥२॥
भजु दीनबन्धु दिनेश दानव
दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥
शिर मुकुट कुंडल तिलक
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥
इति वदति तुलसीदास शंकर
शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु
कामादि खलदल गंजनं ॥५॥
मन जाहि राच्यो मिलहि सो
वर सहज सुन्दर सांवरो ।
करुणा निधान सुजान शील
स्नेह जानत रावरो ॥६॥
एहि भांति गौरी असीस सुन सिय
सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥
॥सोरठा॥
जानी गौरी अनुकूल सिय
हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल वाम
अङ्ग फरकन लगे।
राम नवमी के दिन स्नान के बाद पीले वस्त्र पहनें. राम लला का अभिषेक करें. उन्हें हल्दी, कुमकुम, पीले वस्त्र, पीले फूल चढ़ाएं और दोपहर 12 बजे शंखनाद करते हुए राम स्तुति करें.
राम जी के जन्मोत्सव पर आज घर में तुलसी का पौधा, चांदी का हाथी, पीले रंग के वस्त्र, पीतल के बर्तन, सोना, नया वाहन घर लाना बहुत शुभ माना जाता है, कहते हैं इससे लक्ष्मी जी घर में वास करती हैं.
राम जी की तस्वीर, हल्दी, कुमकुम, मौली, चंदन, फूल, पंचामृत, अक्षत, पंचमेवा, नारियल, पांच फल, कपूर, सिंदूर, अबीर, गुलाल, केसर, दीप, कलश, तुलसी दल, अभिषेक के लिए दूध, दही, घी, शक्कर, गंगाजल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, पीले वस्त्र, मिठाई, ध्वजा,फल, भोग के लिए पंजीरी, खीर, हलवा
राम नवमी पर आज शाम को तुलसी के पास घी का दीपक लगाकर 3 बार परिक्रमा करे. माता को पीली चुनरी चढ़ाएं और राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें. मान्यता है इससे धन प्राप्ति के रास्ते खुलते हैं. लंबे समय से अटका धन वापस मिलता है.
राम नवमी पर श्रीराम को पंजीरी, हलवा, खीर, पंचामृत या बेर के फल का भोग लगाएं. मान्यता है इससे रामलला बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं.
श्री राम नवमी पर प्रभु श्री राम के दिव्य श्रृंगार की झलक.
राम लला का दिव्य अभिषेक
अयोध्या में राम नवमी के मौके पर राम लला का दिव्य अभिषेक किया गया.
भगवान श्रीराम का जन्म कर्क लग्न और अभिजीत मुहूर्त में मध्यान्ह 12 बजे हुआ था. अयोध्या में इस मौके पर दोपहर 12 बजे रामलला का सूर्य तिलक होगा. इस दौरान अभिजीत मुहूर्त रहेगा.
भगवान राम का जन्म मध्यान्ह में अभिजीत मुहूर्त में हुआ था. उस समय सूर्य, बुध, गुरु, शुक्र और शनि ग्रह का विशेष योग बना था. आज रामनवमी के दिन 17 अप्रैल को शुभ योग बन रहा है रामनवमी पर आश्लेषा नक्षत्र, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है.
आज रामनवमी के दिन राम मंदिर पर फूलों की बरसात की जाएगी. राम की पैड़ी, रामकोट, सरयू तट, धर्मपथ, रामपथ में फूलों की बरसात कर रामलला का जन्मदिवस मनाया जाएगा.
आज सुबह 3.30 बजे से राम मंदिर में राम जन्मोत्सव की धूम है. सुबह प्रभु श्री राम के अभिषेक, श्रृंगार के साथ उनके दर्शन किए जा रहे हैं.
आज देशभर में मनाया जाएगा राम नवमी का पर्व. आज लंबे इंतजार के बाद अयोध्या में राम मंदिर में मनाया जाएगा राम लला का जन्मोत्सव.
- पंचामृत
- खीर
- मीठे बेर
- कंदमूल
- केसर भात
भगवान राम का जन्म इक्ष्वाकु वंश में हुआ था. शास्त्रों के अनुसार इक्ष्वाकु वंश की स्थापना भगवान सूर्य के पुत्र राजा इक्ष्वाकु द्वारा की गई थी. इसलिए भगवान राम को सूर्यवंशी राम कहा जाता है.
सुखी वैवाहिक जीवन के लिए: रामनवमी के दिन पति-पत्नी दोनों ‘श्री राम राम रमेत रमे रामे मनोरमे सहस्रनाम तत्तुल्यं श्री राम नाम वरानने’ इस मंत्र की एक माला जाप करें.
आर्थिक तंगी दूर करने के लिए: रामनवमी पर श्रीरामचरितमानस की चौपाई जे सकाम नर सुनहिं जे गावहिं। सुख सम्पत्ति नानाविधि पावहिं।। का 108 बार जाप करें.
- ॐ राम ॐ राम ॐ राम ह्रीं राम ह्रीं राम श्रीं राम श्रीं राम - क्लीं राम क्लीं राम। फ़ट् राम फ़ट् रामाय नमः
- श्री रामचन्द्राय नमः
- ॐ रामभद्राय नमः
- ॐ दाशरथये विद्महे, सीता वल्लभाय धीमहि, तन्नो रामा: प्रचोदयात्.
अयोध्या मंदिर में रामनवमी का अवसर बहुत खास होता है. अयोध्या राम मंदिर में ऐसी तकनीक तैयार की गई है, जिसमें सूर्य का प्रकाश गर्भगृह में विराजे रामलला की मूर्ति के माथे पर तिलक की तरह प्रकाशमान होगा. इस साल रामनवमी के दिन रामलला की मूर्ति के माथे पर सूर्य की किरणों से तिलक होगा.
रामनवमी के दिन ग्रहों का शुभ संयोग-चंद्रमा और शनि स्वराशि में रहेंगे. राहु-केतु उच्च राशि में और सूर्य मित्र राशि में रहेंगे. इन ग्रह-योगों में किया गया व्रत, पूजा और दान का शुभ फल और बढ़ जाएगा.
रामनवमी पर सुबह 11:03 से लेकर दोपहर 01:38 मिनट तक पूजा का शुभ समय है. इस समय श्रीराम की सपरिवार तस्वीर का पूजन करें. रामरक्षास्त्रोत, राम मंत्र, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुंदर कांड का पाठ करें. इससे अक्षय पुण्य मिलता है और जीवन में मंगल ही मंगल होता है
रामनवमी के दिन लौकी की सब्जी या लौकी से बना कोई भी व्यंजन नहीं खाना चाहिए. क्योंकि शास्त्रों में नवमी के दिन लौकी खाना मांसाहार भोजन खाने के समान माना गया है.
भगवान राम का जन्म नवमी तिथि को मध्याहन काल में हुआ था. पंचांग के अनुसार यह दिन का मध्य समय होता है. इसलिए रामनवमी की पूजा के लिए इस समय सबसे शुभ माना जाता है, जोकि रामलला के जन्म के समय को दर्शाता है.
बैकग्राउंड
Ram Lalla Surya Abhishek Highlight: भगवान राम को श्रीहरि विष्णु के सातवें अवतार के रूप में पूजा जाता है. वहीं भगवान राम हिंदू धर्म के ऐसे देवता हैं जोकि मानव रूप में पूजनीय हैं. पौराणिक कथाओं व धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान राम का जन्म पंचांग के अनुसार चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था.
इसलिए इस शुभ दिन को भगवान राम के जन्मोत्सव के तौर पर धूमधाम के साथ मनाया जाता है. साथ ही इस तिथि पर भगवान राम की विशेष पूजा-अर्चना भी की जाती है. बता दें कि इस साल रामनवमी का पर्व देशभर में बुधवार, 17 अप्रैल 2024 को मनाया जाएगा. आइये जानते हैं रामनवमी पर भगवान राम की पूजा के लिए क्या शुभ मुहूर्त और इस दिन कौन-कौन से योग बनेंगे.
रामनवमी 2024 मुहूर्त (Ram Navami Muhurat 2024)
चैत्र शुक्ल की नवमी तिथि 16 अप्रैल दोपहर 01 बजकर 23 मिनट से शुरू हो चुकी है और इसकी समाप्ति 17 अप्रैल को दोपहर 03 बजकर 14 मिनट पर होगी. ऐसे में हिंदू धर्म में मान्य उदयातिथि के अनुसार रामनवमी का पर्व 17 अप्रैल को मनाया जाएगा. रामनवमी पर भगवान राम की पूजा के लिए 17 अप्रैल सुबह 11:03 से दोपहर 01:38 का समय शुभ रहेगा. इस मुहूर्त के भीतर आप प्रभु राम का पूजन कर सकते हैं.
रामनवमी पर बनने वाले शुभ योग (Ram Navami 2024 Shubh Yog)
इस साल रामनवमी के दिन कई शुभ योग का निर्माण होगा. 17 अप्रैल को पूरे दिन रवि योग रहेगा और आश्लेषा नक्षत्र पूर्ण रात्रि तक रहेगा.
रामनवमी का महत्व (Ram Navami 2024 Significance)
चैत्र शुक्ल की नवमी तिथि को अयोध्या के राजा दशरथ और माता कौशल्या के घर भगवान विष्णु के सातवें अवतार के रूप में रामलला का अवतरण हुआ था. इसके बाद से ही इस तिथि को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन मंदिर, मंठ में हवन कराए जाते हैं, पूजा पाठ होते हैं और भंडारा भी कराया जाता है. जगह-जगह रामनवमी पर जूलूस भी निकाले जाते हैं और चारों ओर का माहौल राममय हो जाता है.
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