मां सिद्धिदात्री की पूजा से दूर होती है राहु-केतु की अशुभता, इस मंत्र के साथ करें पूजा
2 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि है इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. राहु-केतु जिन लोगों की जन्म कुंडली में अशुभ हैें उन्हें इस दिन पूजा करने से लाभ मिलता है और परेशानियां कम होती हैं.
जन्म कुंडली: राहु और केतु को ज्योतिष में अशुभ ग्रह माना गया है. इन्हें छाया ग्रह भी कहा जाता है. लेकिन प्रभाव बहुत ही असरदार माना गया है. जब व्यक्ति की जन्म कुंडली में ये दोनों ग्रह अशुभ फल प्रदान करने लगते हैं जो व्यक्ति का जीवन बुरी तरह से अस्त व्यस्त कर देते हैं. उसे आसमान से जमीन पर लाकर खड़ा कर देते हैं ऐसी स्थिति भी बना देते हैं.
जिन लोगों की जन्म कुंडली में राहु- केतु अशुभ हों तो उन्हें नवरात्रि के अंतिम दिन यानि नवमी तिथि को मां सिद्धिदात्री की पूजा करनी चाहिए. मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि विधान से करने से राहु-केतु अपनी अशुभता को कम कर लेते हैं.
मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से प्राप्त होने वाली सिद्धियों के कारण राहु और केतु की अशुभता दूर होती है और इन ग्रहों के कारण जीवन में जो भी परेशानियां आती हैं वह दूर होने लगती है. जिन लोगों की जन्म कुंडली में किसी भी प्रकार का कालसर्प दोष हो, अगर इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं तो लाभ मिलता है.
पूजन विधि
नवमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद मां सिद्धिदात्री को लाल वस्त्र बिछाकर एक लकड़ी की चौकी पर स्थापित करें. गंगाजल से शुद्ध करें. इसके बाद नौ तरह के पुष्प, अक्षत चढ़ाएं. मिष्ठान और फलों का भोग लगाएं, फलों में अनार का भोग लगाना सर्वोत्तम माना गया है. इसके बाद मां की पूजा करें.
मंत्र (108 बार जाप करें)
''ओम सिद्धिदात्रये देव्यै नम:''
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