(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Rama Ekadashi 2023: रमा एकादशी आज रखा जाएगा, सुख-सौभाग्य-समृद्धि में वृद्धि करने वाली व्रत कथा यहां पढ़ें
Rama Ekadashi 2023: 9 नवंबर 2023 को रमा एकादशी का व्रत रखा जाएगा. ये व्रत धन-समृद्धि प्रदान करता है. इसके प्रताप से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है, जानें रमा एकादशी व्रत की कथा
Rama Ekadashi 2023: रमा एकादशी के व्रत से व्यक्ति पाप से मुक्त होकर विष्णु लोक को जाता है. दिवाली से पहले आने वाली रमा एकादशी सुख, सौभाग्य, सृमद्धि में वृद्धि का वरदान देती हैं. एकादशी के दिन श्रीहरि विष्णु की पूजा का विधान है लेकिन इस एकादशी के प्रताप से लक्ष्मी-नारायण की विशेष कृपा बरसती है, आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है. रमा एकादशी का व्रत कथा के बगैर अधूरा माना जाता है. इस साल रमा एकादशी 9 नवंबर 2023 गुरुवार को है.
रमा एकादशी व्रत कथा (Rama Ekadashi Vrat Katha)
पौराणिक काल में मुचुकुंद नाम का राजा राज्य करता था. वह बड़ा सत्यवादी तथा विष्णुभक्त था। उसका राज्य बिल्कुल निष्कंटक था. उसकी चन्द्रभागा नाम की एक कन्या थी, जिसका विवाह उसने राजा का पुत्र सोभन से कर दिया. राजा मुचुकुंद एकादशी का व्रत बड़े ही नियम से करता था और उसके राज्य में सभी क्रठोरता से इस नियम का पालन करते थे.
नगर में मनुष्य से लेकर पशु-पक्षी भी रखते थे एकादशी व्रत
एक बार कार्तिक माह में राजकुमार सोभन अपनी ससुराल आया हुआ था. उस दौरान रमा एकादशी का व्रत आने वाला था. सोभन की पत्नी चन्द्रभागा ने सोचा कि मेरे पति तो बड़े कमजोर हृदय के हैं, वे एकादशी का व्रत कैसे करेंगे, जबकि पिता के यहां तो सभी को व्रत करने की आज्ञा है. चंद्रभागा ने पति को बताया कि यहां जीव-जंतु भी एकादशी के दिन भोजन नहीं करते हैं, ऐसे में अगर राज्य का दामाद ही व्रत नहीं करेगा तो उसे राज्य के बाहर जाना पड़ेगा.
पति को अगले जन्म में मिला मां लक्ष्मी का आशीर्वाद
चंद्रभागा की इस बात को सुनने के बाद आखिरकार शोभन को रमा एकादशी व्रत रखना ही पड़ा. लेकिन, पारण करने से पहले ही उसकी मृत्यु हो गयी. इसके बाद चंद्रभागा अपने पिता के यहां ही रहने लगी. यहां रहकर ही पूजा-पाठ और व्रत करती थी. वहीं एकादशी व्रत के प्रभाव से शोभन को अगले जन्म में देवपुर नगरी का राज्य प्राप्त हुआ जहां धन-धान्य और ऐेश्वर्य की कोई कमी नहीं थी. एक दिन मुचुकुंद के नगर के ब्राह्मण ने शोभन को देखा तो उसे पहचान लिया.
दोबारा साथ आए पति-पत्नी
ब्राह्मण नगर को लौट चंद्रभागा को पूरा वाक्या बताता है. चंद्रभागा ने बताया कि वह पिछले 8 साल से एकादशी व्रत कर रही है इसके प्रभाव से पति शोभन को पुण्य फल की प्राप्ति होगी. चंद्रभागा शोभन के पास जाती है और उसे एकादशी व्रत का समस्त पुण्य सौंप देती हैं. इसके बाद मां लक्ष्मी की कृपा से देवपुर में सुख, सौभाग्य और समृद्धि में वृद्धि होती है और चंद्रभागा-सोभन साथ रहने लगते हैं.
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