Ramadan 2023: रमजान में ऐसे लोगों को रोजा न रखने की मिलती है छूट, जानें किस पर फर्ज है रोजा और किन्हें मिली है छूट
Ramadan 2023 Roza: रमजान का महीना शुरू होते ही दुनियाभर में मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रख रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस्लाम में किन्हें रोजा न रखने की होती है छूट और किस पर फर्ज है रोजा.
Ramadan 2023 Roza Fasting Rules and Facts: माहे रमजान के पाक महीने की शुरुआत 24 मार्च 2023 से शुरू हो चुकी है और रोजेदार 25 मार्च से रोजा रख रहे हैं. इस्लाम में रोजा रखने के नियम के बारे में बताया गया है. इसके अनुसार कुछ लोगों का रोजा रखना वाजिब होता है. वहीं यह भी बताया गया है कि, किन लोगों को रोजा नहीं रखने पर गुनाहगार माना गया है.
कैसे हुई रमजान में रोजा रखने की शुरुआत
माना जाता है कि इस्लामिक कैलेंडर के नौंवे महीने रमजान में रोजा रखने की शुरुआत दूसरी हिजरी में हुई है. कुरान की दूसरी आयत सूरह अल बकरा में कहा गया है कि, रोजा तुम पर उसी तरह का फर्ज है जैसे तुम पर पहले की उम्मत पर फर्ज था. कहा जाता है कि पैगंबर साहब के हिजरत कर मदीना पहुंचने के एक साल बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों को रोजा रखने का हुक्म मिला. तब रोजा रखे जाने की परंपरा की शुरुआत दूसरी हिजरी में हुई.
कहा जाता है कि रमजान में अल्लाह ने 50 दिनों का रोजा उम्मत फर्ज किया है. पैगंबर मोहम्मद को जब अल्लाह ने अपना नबी बनाया तो अल्लाह ने उनके उम्मद पर 50 दिन का रोजा रखने का हुक्म दिया था. लेकिन पैगंबर मोहम्मद ने अल्लाह से गुजारिश की कि मेरे उम्मत 50 दिनों का फर्ज का रोजा नहीं रख पाएंगे. तब अल्लाह ने पैगबंर की गुजारिश कबूल करते हुए रमजान में 30 दिनों का रोजा उनकी उम्मत पर फर्ज किया. वहीं शेष 20 रोजा नफिल किया जिसे ईद के बाद छह रोजा, मुहर्रम बकरीद, शाबान, रजब आदि महीने में रखे जाते हैं रमजान की तरह नफिल रोजा में भी सवाब है. बात करें रमजान की तो, बालिग मुसलमानों पर रमजान के 30 रोजे फर्ज किए गए हैं. लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिन्हें रोजा न रखने की छूट होती है और ये लोग रोजा न रखने पर गुनहगार नहीं माने जाते हैं.
किन लोगों पर फर्ज है रोजा और किन्हें है रोजा नहीं रखने की छूट
- कुरान और हदीस में कहा गया है कि, हर बालिग मर्द और औरत पर रमजान का रोजा रखने का फर्ज है. लेकिन जो लोग बीमार हैं, बहुत वृद्ध हैं, शरीर में रोजा रखने की क्षमता नहीं है, मानसिक रूप से बीमार हैं, बहुत छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाओं को रोजा न रखने की छूट होती है.
- मासिक धर्म के दौरान भी महिलाओं को रोजा न रखने की छूट होती है. लेकिन मासिक धर्म में जितने दिनों का रोजा छूट जाता है, उतने ही रोजे बाद में रखकर इसे पूरा किया जाता है.
- कोई बीमार व्यक्ति अगर ठीक महसूस करें तो वह पहली फुर्सत में रोजा रख सकते हैं.
- जो व्यक्ति हमेशा बीमार रहता है तो उसे 30 दिन रोजे के बदले 60 गरीबों को दोनों वक्त का खाना खिलाने या 60 गरीबों को पौने दो किलो गेहूं या इसके बराबर बाजार की कीमत पर रकम अदा करने की बात कही गई है.
- कोई व्यक्ति अगर यात्रा में है और उसे रोजा रखने में परेशानी हो तो ऐसे में सफर खत्म होते ही रोजा रखने की बात कही गई है, वरना वह गुनहगार होगा.
- कहा तो यह भी जाता है कि जो लोग रमजान के पूरे महीने में रोजा नहीं रखते. वह ईद की नमाज भी रोजेदारों के साथ नहीं पढ़ सकते.
- ऐसे लोग जो बालिग और शारीरिक रूप से स्वस्थ होते हुए भी रोजा नहीं रखते, ऐसे लोग गुनहगार होते हैं और इन्हें जहन्नुम नसीब होती है.
क्या है रोजा रखने का नियम
रमजान में रोजेदार को रात के तीसरे पहर में अजान से पहले उठकर सहरी करनी चाहिए. इसके बाद रोजे की नीयत की जाती है और फिर सुबह की नमाज अदा करें. रोजाना की तरह दिनभर अपने निर्धारित काम-काज करें और दिन में ही जोहर व असर की नमाज अदा कर कुरान की तिलावत करें. शाम में अजान होने के बाद इफ्तार करने यानी रोजा खोलने के बाद तुरंत मगरीब की नमाज अदा करें. रात में ईशा की नमाज के बाद तरावीह पढ़कर सोएं. रमाजन के महीने में रोजा रखने और अल्लाह की इबादत करने के साथ ही गरीब, लाचार और जरूरतमंदों की मदद करने से आम दिनों के मुकाबले 70 गुणा अधिक सवाब मिलता है.
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