Ramadan 2024: रमजान में कैसे हुई रोजा रखने की शुरुआत, जानिए कितना पुराना है रोजा का इतिहास
Ramadan 2024: इस्लाम धर्म के पवित्र महीने रमजान में रोजा रखना अनिवार्य है, क्योंकि रोजा इस्लाम के 5 फर्जों में एक है. लेकिन रमजान में रोजा रखने की शुरुआत आखिर कब और कैसे हुई. आइये जानते हैं.
Ramadan 2024: इस साल 11 मार्च से रमजान महीने की शुरुआत हो चुकी है. इस्लाम धर्म में रमजान को सभी महीनों में सबसे पाक और इबादत का महीना माना जाता है. शाबान यानी इस्लामिक कैलेंडर के आठवें महीने के बाद रमजान की शुरुआत होत है. रमजान के पूरे महीने मुसलमान रोजा रखते हैं. वैसे तो इस्लाम में रोजा रखने की परंपरा काफी पुरानी है और सालों से लोग रोजा रखते आ रहे हैं. लेकिन रमजान के महीने में रोजा रखने की परंपरा की शुरुआत कब और कैसे हुई. आइये जानते हैं इसके बारे में विस्तार से-
कैसे हुई रमजान में रोजा रखने की शुरुआत
रमजान शब्द की उत्पत्ति अरबी के ‘अर-रमद’ या ‘रमिदा’ से हुई है. इसका मतलब होता है चिलचिलाती गर्मी. रोजा इस्लाम के 5 मूल स्तंभों में एक है. इसलिए सभी मुसलमानों के लिए रोजा रखना फर्ज होता है. ऐसा माना जाता है कि माह-ए-रमजान में ही पैगंबर मुहम्मद साहब को मुसलमानों के पवित्र धार्मिक किताब कुरआन का ज्ञान का प्राप्त हुआ था. सभी मुसलमानों को इस्लाम के फर्जों का पालन करना जरूरी होता है और इसलिए रोजा रखना भी अनिवार्य है. हालांकि बहुत छोटे बच्चे, वृद्ध, गंभीर बीमारी, माहवारी या अन्य समस्याओं में रोजा न रखने की छूट दी गई है.
इस्लाम में रोजा रखने की परंपरा बहुत पुरानी है. सबसे पहले मक्का-मदीना में कुछ विशेष तारीखों में रोजा रखे जाते हैं. लेकिन ये रोजा एक महीने नहीं बल्कि आंशिक रूप से रखे जाते हैं. क्योंकि तब इस्लाम में रोजा फर्ज नहीं था. ऐसे में कोई आशूरा रोजा रखता था तो कोई चंद्र महीने की 13, 14 और 15 तारीख को रोजा रखता था. फिर पैगंबर मोहम्मद के मक्का-मदीना जाने के बाद वर्ष 624 में कुरआन की आयत के जरिए रोजा को फर्ज में शामिल किया गया और इस तरह से रमजान के महीने में रोजा रखना मुसलमानों के लिए अनिवार्य हो गया. बता दें पैगंबर मुहम्मद को अल्लाह का दूज माना जाता है.
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