Itikaf: रमजान के तीसरे अशरे में 'एतिकाफ' पर बैठने की क्या है फजीलत? दुनिया से अलग होकर खुदा से लौ लगाता है मुसलमान
Itikaf In Ramadan: रमजान का महीना चल रहा है. इस महीने को रहमतों के महीने का दर्जा दिया गया है. इस महीने को तीन हिस्से (अशरे) में बांटा गया है. आखिरी अशरे में मुसलमान 'एतिकाफ' पर बैठता है.
Itikaf In Ramadan: रमजान का पाक महीना मुसलमानों के लिए बरकत और रहमत लेकर आता है. इस महीने में मुसलमान अपने रब की ज्यादा से इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं. इस 30 दिन के महीने को 3 हिस्सों में बांटा गया है, जिसे अशराह कहते हैं. आखिरी अशराह सबसे अहम होता है और इसमें किसी बस्ती के किसी घर से कम से कम कोई एक मुसलमान 'एतिकाफ' पर बैठता है.
रमजान का पहला अशरा रहमत का होता है, दूसरा मगफिरत का यानि गुनाहों की माफी का और तीसरा अशरा जहन्नम की आग से खुद को बचाने का होता है. यह सबसे खास होता है और इसी में कई मुसलमान 'एतिकाफ' में बैठते हैं. अब सवाल ये है कि 'एतिकाफ' है क्या? रमजान में 'एतिकाफ' का मतलब है तन्हाई में अल्लाह की इबादत करना. सच्चे दिल से मगफिरत की दुआ मांगना और अपने आप को जहन्नम की आग से बचाना.
'एतिकाफ' में भरपूर इबादत करते हैं मुसलमान
'एतिकाफ' में भरपूर इबादत करने का मौका मिलता है. अभी रमजान का महीना चल रहा है. इस महीने को रहमतों के महीने का दर्जा दिया गया है. पूरे साल मुसलमान बड़ी बेसब्री के साथ इस पाक महीने का इंतजार करते हैं.
कैसे 'एतिकाफ' पर बैठते हैं मुसलमान?
20वें रमजान को मगरिब की नमाज के बाद मुसलमान घर के किसी कोने या मस्जिद में रहकर दस दिन बहुत शिद्दत के साथ अल्लाह की इबादत करते हैं. इस दौरान वह रोजे और नमाज के साथ नफिल नमाज और कुरान पाक की तिलावत करने में मसरूफ हो जाते हैं. 'एतिकाफ' के दौरान मर्द मस्जिद में जबकि औरतें घरों में अकेली इबादत करती हैं. वहीं पर खाना, पीना, सोना और इबादत की जाती है.
'एतिकाफ' पर बैठने वाले को मिलता है दो हज-दो उमरे का सवाब
'एतिकाफ' के दौरान अल्लाह की खास इबादत की जाती है, इस बीच दूसरों की बुराई करने या किसी को बुरा भला कहने या चुगली करने से सख्त दूर रहना चाहिए. हजुर आका सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया- 'ऐ लोगों ऐ इमान वालों एक बहुत ही मुबारक महीना यानि बरकत का महीना तुम पर साय फगन होने वाला है और फिर इरशाद फर्माया कि 'एतिकाफ' 10 दिनों का होता है. अगर कोई सुन्नत-ए- 'एतिकाफ' में बैठता है तो अल्लाह ताला उसको दो हज और दो उमरे का सवाब देता है और रातों की इबादत का अलग सवाब मिलता है.
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