Ramadan 2024 Jummah: मुसलमानों का पाक इबादत का महीना रमजान चल रहा है और रोजेदार रोजा रख रहे हैं. बता दें कि इस साल 11 मार्च 2024 से मुबारक महीने रमजान की शुरुआत हुई है. 22 मार्च को रोजेदार 11वां रोजा रखेंगे. साथ ही आज पाक रमजान-उल-मुबारक का दूसरा जुमा भी है. इस्लाम धर्म में जुमा यानी शुक्रवार के दिन का खास महत्व होता है.
रमजान का दूसरा जुमा 22 मार्च को (2nd Friday of Ramadan 2024)
रमजान का पहला जुमा 15 मार्च को था. इस दिन रोजेदारों और नमाजियों ने जुमे की नमाज अदा की और अल्लाह ताला से रहमत और बरकत की दुआ मांगी. अब 22 मार्च को रमजान का दूसरा जुमा है. इस दिन भी मुसलमान सिर छुकाकर अल्लाह की बंदिगी करेंगे. खास बात यह है कि रमजान के दूसरे जुमा से ही दूसरा अशरा यानी मगफिरत अशरा की शुरुआत हुई है.
इस्लाम में जुमे का महत्व (Jummah Prayer Importance)
रजमान में पड़ने वाले जुमा का मतलब है अधिक अहमियत वाला दिन. इस्लाम धर्म को मानने वाले सभी मुसलमान पुरुष जुमा के दिन मस्जिद जाते हैं और जुमा की नमाज अदा करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि कोई मुसलमान अगर लगातार तीन जुमे की नमाज छोड़ दे तो वह ईमान से खारिज हो जाता है. इसलिए जुमा के दिन मस्जिदों में नमाजियों की तादाद कई गुना बढ़ जाती है.
वैसे तो मुस्लिम समुदाय के लोग रोजाना पांच वक्त की नमाज अदा करते हैं. लेकिन जुमे की नमाज इससे अलग होती है और ये नमाज सिर्फ जुमा यानी शुक्रवार के दिन ही पढ़ी जाती है. जुमे की नमाज का वक्त दोपहर 12:30 से शुरू होता है. जुमे की नमाज की अहमियत इसलिए भी खास होती है, क्योंकि हदीस शरीफ में जुमे की नमाज को लेकर कहा गया है- हजरत आदम अलैहिस्सलम को जुमे के दिन ही जन्नत से दुनिया में भेजा गया. वहीं रमजान के पवित्र महीने में पड़ने वाले जुमा के दिन को अधिक पाकीजा और मुकद्दस का दिन माना जाता है. यही कारण है कि इस्लाम में जुमा की नमाज को पढ़ने की बहुत बड़ी फजीलत है.
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