Ramadan 2025: रमजान के 21वें रोजे से तीसरा अशरा शुरू, जानें इसमें क्या-क्या होता है?
Ramadan 2025: मुकद्दस महीने रमजान का तीसरा अशरा 20वें रोजे की मगरिब के बाद से शुरू हो जाता है. इसमें किए इबादत से जहन्नुम से आजादी मिलती है. तीसरे अशरे में ही शब-ए-कद्र की 5 रातें भी पड़ती हैं.

Ramadan 2025: इस्लाम में रमजान को मुकद्दस का महीना कहा जाता है जोकि बेशुमार बरकतों वाला होता है. इस महीने अल्लाह तआला की इबादत करने और रोजा रखने से रोजेदारों पर रहमतों की बरसात होती है. अल्लाह अपने बंदों के सारे गुनाह माफ कर देते हैं.
रमजान की शुरुआत होते ही पहले दिन से लेकर आखरी दिन तक रोजेदार हर रोजा रखते हैं. रमजान में 29 से 30 दिनों तक रोजा रखा जाता है. ये रोजे तीन अशरों में बंटे होते हैं. 10 रोजे का एक अशरा होता है. पहला अशरा रहमत या बरकत का होता है, दूसरा अशरा मगफिरत का और तीसरा अशरा दोजख या जहन्नुम से आजादी दिलाने वाला होता है.
इसलिए खास है तीसरा अशरा
21 मार्च 2025 को रमजान महीना का 20 रोजा पूरा हो जाएगा और इसी दिन मगरिब के बाद से तीसरे अशरे की शुरुआत भी हो जाएगी. 20 रोजे पूरे होने के बाद से ही तीसरा अशरा शुरू होता है. तीसरे अशरे को इसलिए भी खास माना जाता है, क्योंकि इसी अशरे में वो खास रातें पड़ती हैं जिन्हें शब-ए-कद्र (shab e qadr) या लैलतुल कद्र भी कहा जाता है. रमजान का दूसरा अशरा ढलने के बाद इन रातों की शुरुआत होती है. तीसरे अशरे के 10 दिनों में शबे कद्र की 5 महत्वपूर्ण रातें पड़ती हैं, जिन्हें बहुत ही पाक माना जाता है. इसमें किए दुआओं का बहुत असर होता है. आइए जानते हैं कि कब होगी तीसरे अशरे की शुरुआत और कौन सी है शबे कद्र की 5 रातें.
रमजान का तीसरा अशरा
21वें रोजे के साथ तीसरे अशरे की शुरुआत हो जाती है. 21वे रोजे से शुरू होकर यह चांद के अनुसार 29वें या 30वें रोजे तक होता है. तीसरे अशरे में की गई दुआओं से जहन्नुम की आग से निजात मिलती है. इस दौरान हर मुसलमान दोजख की आग से बचने के लिए दुआ करता है. तीसरा अशरा शुरू होते ही मस्जिद और घरों में एतकाफ का सिलसिला भी शुरू हो जाता है. इस दौरान फितरा और जकात भी अदा की जाती है.
शब-ए-कद्र की रातें (shab e qadr nights)
इस्लाम में शब-ए-कद्र या लैलतुल कद्र (laylatul Qadr) की रातों को महत्वपूर्ण माना गया है, जोकि तीसरे अशरे में ही पड़ती है. रमजान के आखिरी 10 दिनों में ऐसी पांच रातें होती हैं, जिसे शब-ए-कद्र कहते हैं. ये रातें 21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं और 29वीं रात होती है. ऐसी मान्यता है कि इन रातों में हजरत मोहम्मद साहब ने इबादत के लिए सबसे अच्छा माना है. लेकिन इन 5 रातों में 27वीं रमजान की रात को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. डेट के अनुसार शब-ए-कद्र या लैलतुल कद्र की ये पांच रातें 22 मार्च, 24 मार्च, 26 मार्च, 28 मार्च और 30 मार्च को पड़ेंगी.
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