Ramakrishna Paramhansa Jayanti: दूसरों को अवसर देने से होती है परमात्मा की कृपा, जानिए इनके उपदेशों से और क्या मिलती है सीख?
Ramakrishna Paramhansa Jayanti: क्या है जीवात्मा और परमात्मा, या दोनों में है भेद. जानिए ऐसे ही कुछ रहस्य. रामकृष्ण परमहंस ने खोले थे जीवन जीने की कला के ऐसे ही कुछ रहस्यों से पर्दा.
Ramakrishna Paramhansa Jayanti: 4 मार्च 2022 को रामकृष्ण परमहंस की जयंती पर आज हम लोग इनके बताएं उपदेशों को दोहराने जा रहें हैं जो इस प्रकार है... वाद विवाद न करो. जिस प्रकार तुम अपने धर्म और विश्वास पर दृढ़ रहते हो, उसी प्रकार दूसरों को भी अपने धर्म और विश्वास पर दृढ़ रहने का पूरा अवसर दो. केवल वाद-विवाद से तुम दूसरों को उनकी गलती न समझा सकोगे. परमात्मा की कृपा होने पर ही प्रत्येक मनुष्य अपनी गलती समझेगा अर्थात् जिस व्यक्ति पर परमात्मा की कृपा होती है वह ही अपने द्वारा की गई गलती के कारण को समझने का प्रयास कर पाता है.
एक किसान उठ के खेत में दिन भर पानी भरता था, किंतु शाम को जब देखता तब उसमें पानी का एक बूंद भी दिखाई नहीं पड़ता था. सब पानी अनेकों छिद्रों द्वारा बह जाता था, उसी प्रकार जो भक्त अपने मन में कीर्ति, सुख, संपत्ति, पदवी आदि विषयों की चिंता करता हुआ ईश्वर की पूजा करता है, वह परमार्थ मार्ग में कुछ भी उन्नति नहीं कर सकता. उसकी सारी पूजा वासना रूपी बिलों द्वारा बह जाती है और जन्म भर पूजा करने के अनंत पर वह देखता है कि जैसी हालत मेरी पहले थी वैसी ही अब भी है, उन्नति कुछ नहीं हुई है.
एक बार गुरुजी ने अपने शिष्य को उपदेश दिया कि संसार में जो कुछ भी है वह सब परमेश्वर ही है. भीतरी मतलब को न समझ कर शिष्य ने उसका अर्थ अक्षरशः लगाया. एक समय जब वह मस्त होकर सड़क पर जा रहा था कि सामने से एक हाथी आता दिखलाई पड़ा, महावत ने चिल्लाकर कहा हट जाओ- हट जाओ, परंतु उस शिष्य ने एक न सुनी उसने सोचा कि ईश्वर मैं हूं और हाथी भी ईश्वर है. ईश्वर को ईश्वर से किस बात का डर. इतने में हाथी ने सूंड से एक ऐसी चपेट मारी कि वह एक कोने में जा गिरा. थोड़ी देर बाद किसी प्रकार संभल कर उठा और गुरु के पास जाकर उसने सब हाल सुनाया, गुरु जी ने हंसकर कहा ठीक है तुम ईश्वर हो और हाथी भी ईश्वर है परंतु जो परमात्मा महावत के रूप में हाथी पर बैठा हुआ तुम्हें सावधान कर रहा था, तुमने उसके कहे को क्यों नहीं माना?
पानी और उसका बुलबुला एक ही चीज है, बुलबुला पानी से बनता है और पानी में तैरता है और अंत में फूटकर पानी में ही मिल जाता है. उसी प्रकार जीवात्मा और परमात्मा एक ही चीज है भेद केवल इतना ही है कि एक छोटा होने से परिमित है और दूसरा अनंत है, एक परतंत्र है और दूसरा स्वतंत्र है. रेलगाड़ी का इंजन वेग के साथ चलकर ठिकाने पर अकेला ही नहीं पहुंचता, बल्कि अपने साथ-साथ बहुत से डिब्बों को भी खींच खींचकर पहुंचा देता है. यही हाल अवतारों का भी है पाप के बोझ से दबे हुए अनंत मनुष्यों को ईश्वर के पास पहुंचा देते हैं.
राजहंस दूध पी लेता है और पानी छोड़ देता है, दूसरे पक्षी ऐसा नहीं कर सकते. उसी प्रकार साधारण पुरुष माया के जाल में फंसकर परमात्मा को नहीं देख सकते. केवल परमहंस ही माया को छोड़कर परमात्मा के दर्शन पाकर दैवीय सुख का अनुभव करते हैं. दूसरों की हत्या करने के लिए तलवार और दूसरे शस्त्रों की आवश्यकता होती है. किंतु अपनी हत्या करने के लिए एक आलपिन ही काफी है, उसी प्रकार दूसरों को उपदेश देने के लिए बहुत से धर्म ग्रंथों और शास्त्रों को पढ़ने की आवश्यकता है. किंतु आत्मज्ञान के लिए एक ही महावाक्य पर दृढ़ विश्वास करना काफी है.
मेष वाले लोग टेक्नोलॉजी का करें प्रयोग तो मिलेगी जल्द ही सफलता, आलस्य बिगाड़ सकता है बनते काम